रविवार, 16 अक्तूबर 2022

इन रातों में हासिल की जाती है खतरनाक तंत्र-मंत्रों की सिद्धियाँ (TANTRA-MANTRA,SIDDHIYA)

 प्राचीन समय से साधु, संन्यासी ,ऋषि ,मुनि , सिद्धियाँ  प्राप्त करने   के लिए साधना किया करते थे। शास्त्रों में कहा गया है कि  अलग अलग साधना करने का एक खास समय होता है।





इस खास समय में साधना करने पर तंत्र मंत्र सिद्ध हो जाते हैं यानी व्यक्ति के वश में हो जाते हैं। तंत्र मंत्र जिनके वश में होते हैं वह जरूरत के अनुसार सिद्ध  किए मंत्रों के द्वारा  अपनी सभी  इच्छाओं को पूरा कर सकता है।

काली रातों में होती है ऐसी तंत्र साधनाएं







ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र-मंत्र की साधना के लिए कुछ नियम हैं। इस नियम के अनुसार कुछ तंत्र-मंत्र साधनाएं अमावस्या की रात को पूरी की जा सकती है। इनमें भैरव, श्मशान, काली, प्रेतात्माओं को जगाने की साधना शामिल हैं।

ग्रहण के समय की जाती है ऐसी तंत्र साधनाएं



ग्रहण के समय में अप्सरा ,योगिनी, भैरवी, अग्नि जीवा, कर्ण पिशाचिनी, छिन्नमस्ता, ललिता और कृत कामिनी योगिनी की साधना करने पर सफलता की संभावना प्रबल रहती है।

जबकि नवरात्र के समय तंत्र-मंत्र की देवी आदिशक्ति के पृथ्वी पर होने और प्रकृति की अनुकूलता के कारण किसी भी तांत्रिक साधना और दस महाविद्याओं की साधना करना शुभ फलदायी होता है।

शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

गायत्री मंत्र के सभी शब्दों का अर्थ (मतलब) क्या है ?(Gayatri Mantra)


 

गायत्री मंत्र के सभी शब्दों  का अर्थ (मतलब) क्या है ?

सभी ग्रंथों में लिखा है कि मंत्रों का मंत्र महामंत्र गायत्री मंत्र है यह प्रथम इसलिए है क्योंकि  विश्व की प्रथम पुस्तक ऋंगवेद  की शुरुआत ही गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) से होती है कहते हैं कि ब्रह्मा ने चार वेदों की रचना के पूर्व 24 अक्षरों के गायत्री मंत्र की रचना की थी, गायत्री मंत्र के हर शब्द का खास अर्थ है,

 आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के सभी अक्षरों का अर्थ (मतलब) 

ॐ  भूर्भुव स्व तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात् 

प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आवाहन हो जाता है 

गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों के 24 देवता है उनकी अर्थात  चौबीस शक्तियां है ,

24 शक्ति बीज है गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का  लाभ और सिद्धियां मिलती है 

ॐ शब्द 3 शब्दों से मिलकर बना है अ ,उ  और म इन तीनो शब्दों को एक साथ मिला कर बोलने पर जो ध्वनि निकलती है वो है ॐ | 

गायत्री मंत्र का अर्थ
उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें.


गायत्री मंत्र जाप कब करें
1. सूर्योदय से पूर्व
2. दोपहर में
3. सूर्यास्त से पूर्व

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गायत्री मंत्र जाप के फायदे
1. गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से मन शांत और एकाग्र रहता है .

2. इस मंत्र के जाप से दुख, कष्ट, दरिद्रता , पाप आदि दूर होते हैं.

3. संतान प्राप्ति के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है.

4. कार्यों में सफलता, करियर में उन्नति आदि के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.

5. विरोधियों या शत्रुओं में अपना वर्चस्व स्थापित करने के​ लिए घी एवं नारियल के बुरे का हवन करें. उस दौरान गायत्री मंत्र का जाप करते हैं.

6. जिन विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति कमजोर होती है, उनको गायत्री मंत्र का नियमित जाप एक माला करनी चाहिए.

7. पितृदोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु तथा शनि दोष की शांति के लिए शिव गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.

बुधवार, 24 नवंबर 2021

उर्वशी अप्सरा साधना संपूर्ण जानकारी urvashi apsara sadhna

उर्वशी अप्सरा साधना  संपूर्ण जानकारी




प्राचीन काल से ही भारतीय साधना पद्धति में सौन्दर्य की साधना करना

भी एक आवश्यक गुण माना गया है। सौन्दर्य शब्द को लेकर के समाज में आज

जो भी धारणा हो , उसके विषय में तो कुछ भी नहीं कहा जा सकता, किंतु प्राचीन

काल में ऋषियों के मन में सौन्दर्य को लेकर के न तो कोई  था, न उनके

मन में कोई ऐसी धारणा थी कि सौन्दर्य की उपासना अपने आपमें कोई अश्लील

धारणा है। यही कारण है, कि प्राचीन ग्रंथों में सौन्दर्य का मूर्त रूप अप्सरा को

मान कर प्रकारान्तर से सौन्दर्य की ही उपासना करने का प्रयास किया है, क्योंकि

सौन्दर्य नारी के माध्यम से अपने सर्वोत्कृष्ट रूप में स्पष्ट हो सकता है . . . 

और संसार की तीन अद्वितीय सुंदरियां मानी गई हैं, जिनके नाम उर्वशी, रम्भा, और

मेनका हैं , इनमें भी उर्वशी का नाम सर्वोपरि है। ये सुंदर स्त्रियां देवताओं के राजा

इन्द्र की सभा में अद्वितीय नृत्य और सूर्य के समान प्रखर सौन्दर्य रश्मियों से सबको

अभिभूत करती रहती हैं।

उर्वशी के बारे में ग्रंथों में कहा गया है, कि वह चिरयौवना है, हजारों

वर्ष बीतने पर भी वह 16 वर्ष की उम्र की युवती के समान अल्हड़ मदमस्त और

यौवन रस से परिपूर्ण रहती है। सारा शरीर एक अद्वितीय सुन्दरता से परिपूर्ण रहता

है, जिसको देखकर व्यक्ति तो क्या, देवता भी ठगे रह जाते हैं। विश्वामित्र संहिता

के अनुसार गोरा अण्डाकार चेहरा, लम्बे और एड़ियों को छूते हुए घने श्यामल

केश, जैसे कोई बादलों की घटा उमड़ आई हो, गोरा रंग ऐसा, कि जैसे स्वच्छ

दूध में केसर मिला दी हो, बड़ी-बड़ी खंजन पक्षी की तरह आंखें जो हर क्षण

गहन जिज्ञासा लिए हुए इधर-उधर देखती हों , छोटी चिबुक, सुंदर और गुलाबी

होंठ, आकर्षक चेहरा और अद्वितीय आभा से युक्त शरीर . . . सब मिलाकर एक

ऐसा सौन्दर्य जो उंगली लगने पर मैला हो जाए। ऐसी ही सौन्दर्य की सम्राज्ञी उर्वशी

संसार की अद्ठितीय सौन्दर्य सम्राज्ञी है, जो अपने यौवन व सौन्दर्य के माध्यम से

पूरे संसार को मोहित किए हुए है।


अप्सरा साधना की शुरुवात  कैसे हुई 


विश्वामित्र ने जब यह सुना कि उर्वशी इन्द्र के दरबार की उज्जवल

सौन्दर्यमयी नृत्यांगना है जिसके नृत्य से मनुष्य तो क्या बहता हुआ पानी भी ठिठक कर

रुक ज़ाता है, तो उन्होंने आज्ञा दी कि उर्वशी मेरे आश्रम में भी नृत्य करे।

 विश्वामित्र ने अपना संदेश इन्द्र तक पहुंचा दिया और इन्द्र ने हाथों- हाथ मना

कर कहला दिया कि यह किसी भी प्रकार से सम्भव नहीं है।

विश्वामित्र तो हठी योगी रहे हैं, उन्होंने मंत्र बल से उर्वशी को अपने आश्रम

में बुलाया और कहा - तुम्हें ठीक वैसा ही नृत्य मेरे शिष्यों के सामने इस आश्रम में

करना है, जैसा इन्द्र की सभा में तुम करती हो।

उर्वशी ने यौवन के नशे में चूर नृत्य करने  से मना कंर दिया और इठलाती हुई पुन:

इन्द्रलोक चली गई। ।

विश्वामित्र तिलमिला कर रह गए। उन्होंने उसी क्षण प्रतिज्ञा की कि मैं

सर्वथा नये तंत्र की रचना करूंगा और तंत्र बल से इसे अपने आश्रम में बुलाऊंगा,

एक बार नहीं जब भी चाहे नृत्य करवाऊंगा और इसी जिद्द और क्रोध का परिणाम

हुआ 'उर्वशी तंत्र ' |


अप्सरा साधना किस रूप में करे 


किसी भी अप्सरा की साधना चार रूपों में की जा सकती है। 

मां, बहन, पत्नी और प्रेमिका के रूप में 

साधना सम्पन्न करना श्रेष्ठ माना गया है। 

विश्वामित्र ने प्रेमिका रूप से तंत्र रचना की और इसी तंत्र के माध्यम से उर्वशी को अपने आश्रम

में आने के लिए बाध्य किया और उसे अद्वितीय नृत्य करना पड़ा। 

अप्सरा साधना के लाभ 

उर्वशी को सिद्ध

कर निम्न लाभ प्राप्त किए जाते हैं-

जब भी चाहे उर्वशी को प्रत्यक्ष बुलाए और उसका नृत्य देखे ।

उर्वशी का प्रेमिका रूप में उपयोग करे, उसके साथ रमण करे।

उर्वशी के माध्यम से मनोरंजन करें।

उर्वशी के द्वारा अतुलनीय धन, बैभव प्राप्त करे |

उर्वशी के द्वारा चिरयौवन प्राप्त कर जीवन का पूर्ण आनन्द उपभोग करे।

उर्वशी को सिद्ध कर उन पदार्थों और भोगों को प्राप्त करे जो उसके मन की

आकांक्षा होती है।


विश्वामित्र के बाद और कौन कौन उर्वशी साधना किये 


विश्वामित्र के बाद उनके शिष्य भूरिश्रवा , चिन्मय, देवसुत , गन्धर , और

यहां तक कि देवी विश्रवा और रलप्रभा ने भी उर्वशी अप्सरा  को   सिद्ध कर जीवन के सम्पूर्ण

भोगों का भोग किया | गोरखनाथ ने भी इस साधना के माध्यम से चिरयौवन प्राप्त

किया और गोरक्षपुर में उन्होंने हजारों शिष्ष्यों के सामने सदेह उर्वशी को बुलाकर

अद्वितीय नृत्य सम्पन्न करवाया । इतिहास साक्षी है कि स्वामी शंकराचार्य ने इसी

साधना को सम्पन्न कर अपने शिष्य पद्मपाद को अतुलनीय वैभव का स्वामी बना

दिया, यहीं नहीं अपितु मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ के दिनों में शंकराचार्य ने उर्वशी

को तंत्र के माध्यम से उसे अपने सामने बुलाकर उससे काम कला की वे बारीकियां

समझा जो सन्याशी  होने की वजह से उनके लिए असंभव थी, इसी साधना के

बल पर आज से सौ साल पहले स्वामी विशुद्धानंद जी ने बनारस में नवमुण्डी

आश्रम में अभिनव नृत्य कराकर अंग्रेजों को आश्चर्यचकित कर दिया था, और

उस समय के तत्कालीन कलेक्टर ब्लासिम ने तो कहा था, कि मैंने अपनी जिन्दगी

में ऐसी सुंदरी नहीं देखी, वह अचानक आई और जो नृत्य उसने किया वह

आश्चर्यचकित करने वाला था।


उर्वशी-साधना कोई भी साधक सम्पन्न कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार

भी उर्वशी की साधना पत्नी या प्रेमिका के रूप में ही सम्पन्न करनी चाहिए।


साधना विधि


यह साधना 49 दिनों की है, किसी भी पूर्णमासी की रात्रि से यह साधना

प्रारम्भ की जाती है, घर के किसी कोने में सफेद आसन बिछाकर उत्तर की तरफ मुँह

कर बैठ जांए, सामने घी का अखण्ड दीपक प्रज्ज्वलित करे और स्वयं पानी में गुलाब

का थोड़ा सा इत्र मिलाकर स्नान कर स्वच्छ सफेद वस्त्र धारण कर आसन पर बैठ

जांए, और सामने उर्वशी यंत्र और चित्र रखकर स्फटिक  की माला से मंत्र जप करे।


मंत्र 

॥॥ ॐ  श्रीं क्लीं उर्वशी अप्सराय आगच्छागच्छ स्वाहा ।।

आप प्रत्येक दिन २१ माला जप कर सकते है 


मंत्र जप समाप्ति के बाद उसी स्थान पर सो जाएं।

इन 49 दिनों में वह न तो किसी से बात करे, और न कमरे से बाहर जाए,

केवल शौचादि क्रिया कंरने के लिए बाहर जा सकता है। सातवें दिन निश्चय ही

घुंघरुओं की मधुर आबाज सुनाई देती है, मगर साधक को चाहिए कि वह अविचलित

भाव से मंत्र जप करता रहे । इक्कीसवे दिन बिल्कूल ऐसा लगेगा कि जैसे अपूर्व सी

सुगंध  फैल गई है, इसके बाद नित्य ऐसी सुगंध  और ऐसा आभास होगा।


36 वें दिन बिल्कुल ऐसा लगेगा कि जैसे कोई अद्वितीय सुन्दी आसन

कै पास आकर बैठ गई है, मगर साधक अविचलित न हो और मंत्र जप करता रहे

47 वें दिन साधक की परीक्षा आरम्भ होती है, और वह सशरीर उपस्थित होकर

साधक की गोदी में बैठ जाती है, फिर भी साधक को चाहिए कि वह न तो विचलित

हो और न कामोत्तेजक हो | 49 वें दिन बह अपूर्व श्रृंगार कर साधक से सट कर बैठ

जाएगी और पूछेगी कि मेरे लिए क्या आज्ञा है, तब साधक कहे कि मेरी पत्नी बन

प्रेमिका की तरह प्रसन्न करो, तब वह सिद्ध हो जाती है, और जीवन भर सुख, काम

द्रव्य प्रदान करती रहती है। 

यह आजमाया हुआ तंत्र है, और अपने आप में प्रामाणिक सिद्ध प्रयोग है,

एक बार सिद्ध करने पर फिर जीवन में बार-बार प्रयोग करने की जरूरत नहीं रहती

इस साधना में तीन बातें आवश्यक हैं -- ।


१. साधनाकाल में 49 दिन तक किसी से भी कुछ भी न बोले।


2. साधना के बाद अप्सरा  सिद्ध होने पर परस्त्रीगमन न करे।


3. अप्सरा  सिद्ध होने पर उसके साथ रमण करे, जो कुछ भी चाहे प्राप्त

करे, पर द्रव्य का दुरुयोपयोग न करे।


यह साधना आज भी जीवित है, और वर्तमान में भी कई तांत्रिकों ने इसे

सिद्ध कर रखा है। वस्तुत: यह जीवन की एक अदभुत और पूर्ण सुखोपभोग देने

वाली सौन्दर्यमयी साधना है, जिसे सिद्ध करने में शास्त्रीय दृष्टि से भी किसी प्रकार

का बन्धन गा दोष नहीं है। प्रत्यक्ष रूप से देखने पर यह साधना लम्बी प्रतीत होती

है किंतु इसके मंत्र पर ध्यान दें तो यह अन्य साधना की अपेक्षा सरल की कही जा

सकती है। साथ ही महर्षि विश्वामित्र के द्वारा प्रणीत होने के कारण इसकी

प्रामाणिकता स्वयं सिद्ध है।

मंगलवार, 23 नवंबर 2021

Bindu Tratak kaise kare : बिंदु त्राटक कैसे करे ?

Bindu Tratak kaise kare : बिंदु त्राटक कैसे करे 



 नमस्कार मित्रो आज हम बिंदु त्राटक के बारे में चर्चा करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे हम अपनी मनोकामनाओ की पूर्ति कैसे कर सकते है , और जानेंगे की हम अपने अंदर आकर्षण शक्ति का निर्माण कैसे कर सकते है एक चुम्बकीय शक्ति का निर्माण कैसे कर सकते है | ये जानने की कोशिश करेंगे 

बिंदु त्राटक 

त्राटक का अर्थ ये होता है , बिना पालक झपकाए किसी वस्तु बिंदु  को एक टक  देखना  या ध्यान देने की क्रिया को त्राटक कहा जाता है.

त्राटक के अलग अलग स्टेज होता है अलग अलग पड़ाव होता है , बिंदु त्राटक, दीपक त्राटक ,मोमबत्ती त्राटक ,दर्पण त्राटक ,सूर्य त्राटक ,आदी।  आज हम बिंदु त्राटक के बारे में चर्चा करेंगे 

बिंदु त्राटक के फायदे 

बिंदु त्राटक के अभ्यास करने पर सम्मोहन के क्षेत्र में सफलता मिलता है। 

आकर्षण के क्षेत्र में सफलता मिलता है। 

हिप्नॉटिज़्म में सफलता मिलता है।  

आप किसी भी व्यक्ति को अपने आँखों से सम्मोहित कर सकते है मन के अंदर  डर , निराशा हिन भावना , गलत विचार  ये निकलना शुरू हो जाता है , जबरदस्त आत्मविश्वास  बढ़ना शुरू हो जाता है। 

आपको आपके कार्य के क्षेत्र में अग्रसर होना है तो आपके अंदर आत्मविश्वाश होना जरुरी है। " Positive Thinking " होना बहुत ही जरुरी है।  इसलिए त्राटक करना बहुत जरुरी है ,

त्राटक की शुरुवात बिंदु त्राटक से ही शुरू होती है और बिंदु त्राटक से ही शुरू करना चाहिए। आज यही जानेंगे की बिंदु त्राटक कैसे करे व बिंदु त्राटक में सिद्धि कैसे प्राप्त करे। अब सिद्धि की बात आती है तो बहुत सरे लोग ये सोचते है की इसमें पूजा पाठ  करना होगा , मंत्र जाप करना होगा ,यन्त्र बनाना पड़ेगा , माला फेरना पड़ेगा वगैरह , मित्रो मै आपको बता दू बिंदु त्राटक में कोई मंत्र की आवश्यकता नहीं होती , और न ही आपको पूजा पाठ हवन आदि की आवश्यकता होती है। 

त्राटक का अभ्यास किसी जाती धर्म से सम्बंधित नहीं है, इसे कोई भी जाती वर्ग के लोग कर सकते है 

त्राटक करने से चमत्कारिक अनुभव होते है बिंदु त्राटक करने से इसमें अलग अलग लोगो को अलग अलग समय लगता है सिद्ध होने में कुछ लोगो को 15 दिन में सिद्ध हो जाता है तो कुछ लोगो को 1  महीना या कुछ लोगो को 2 से 3 महीने भी लग जाते है , इसमें आपको ज्यादा मेहनत  करने की जरुरत नहीं है। प्रतिदिन 5 से 10 मिनट का अभ्यास करना होता है 

त्राटक अभ्यास कैसे करे 

त्राटक करने के लिए तनाव मुक्त होकर साफ सुथरे व ढीले ढाले कपडे पहने आप जिस कमरे में त्राटक का अभ्यास करना चाहते है वो कमरा साफ सुथरा होना चाहिए , साथ ही धीमी खुशबु वाली कोई अगरबत्ती जला दे या घर में हलकी सुगंध वाली इत्र छिड़क दे ताकि आप अच्छा महसूस करे।  आप जिस कमरे अभ्यास करने वाले है उस कमरे में ज्यादा सामान नहीं होना चाहिए मतलब की ज्यादा सामान की वजह से आपका ध्यान न भटके ,

एक सफ़ेद कोरा पेपर में 1  रूपये के  आकार  का बिंदु बना ले , और उसे दिवार में चिपका दे , ध्यान रहे पेपर आपके आँखों के सीधे  में होना चाहिए ,  ताकि आपके आँखों  पर जोर न  पड़े ,


अब आपको 10  बार प्राणायाम करना है ,स्वास  अंदर लेना उसके  बाद धीरे धीरे स्वास छोड़ना है यह प्रक्रिया आपको 10 बार  है | 

इसके बाद आप बिंदु को एक टक बिना पालक झपकाए देखना है , शुरूवात में  आपके पलक झपक सकता है , आंशु भी आ सकते है ,आँखों में दर्द भी हो सकता है | 

अगर  आँशु आ जाये , आँख साफ करके फिर से करो , साथ में आप तौलिया , या रुमाल रख सकते है , पालक  जाये फिर से करो , दर्द बहुत ज्यादा हो जाये  नहीं हो रहा हो तो  अभ्यास करना बंद कर दे , और 5 मिनट के बाद आँखों में पानी मार  लो ,

इस प्रक्रिया को रोज करना है , 



सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

घर में सांप के आने से क्या होता है? What happens to snake come in house?

घर में सांप के आने से क्या होता है? What happens to snake come in house?  



सांप से बचने के लिए उसे भगाने की बजाए लोग अक्सर सांप को  मार देते हैं। जबकि थोड़ी सी समझदारी से हम सांप को मारे बिना उससे बच सकते हैं।

दोस्तों घर में सांप का घुसना या  घर में सांप के  दिखाई देने के  निम्न  कारण  है | 

1 . घर के आसपास झाड़ी या जंगल होना 

दोस्तों सांपो  का बसेरा ज्यादातर झाड़ियों या घने जंगलो में होता है ,ये अपने बिल खुद नहीं बनाते ये चूहे या अन्य किसी जीव  जंतु के बिलो में रहते है | 

ऐसे जगह जहा सांप रहते हो वह पर अगर आपका घर हो तो कभी कभी तो सामना हो ही जायेगा इसमें डरने की बात नहीं है , आपको जैसे अपने प्राण की चिंता है वैसे ही हर जीव जंतु को अपने प्राण की चिंता होती है , आप सांप को मरे नहीं अपितु उसे किसी सांप पकड़ने वाले से कहकर किसी जंगल में या घर से दूर ले जाने को कहे | 

2 . घर में चूहे या मुर्गियों का होना 

दोस्तों  सांप अक्सर खाने की तलाश में घरो में घुस आते है सांप चूहों या मुर्गियों को अपना शिकार ज्यादा बनाते  है 

ऐसे में अगर आपके घर में भी अगर आप मुर्गी पल के रखे हो तो  सावधान हो जाओ , आपके घर भी सांप आ सकता है , सांप मुर्गी के अंडो को भी खाती  है | 

3 . शिवलिंग या शिव जी की मूर्ति का होना 

अक्सर ये देखने को मिलता है की जिस जगह पर शिवलिंग या शिव जी की मूर्ति होती है वहां सांपो का आनाजाना लगा रहता है , और ये स्वाभाविक सी बात है ,क्योंकि सांप भगवान भोलेनाथ के भक्त है , अगर आपको सांपो से दर लगता है तो , घर  शिवलिंग स्थापित न करके घर से थोड़ा दूर में स्थापित करे | 

घर में सांप घुस आए तो क्या करें ? What to do if a snake enters the house ?


>यदि घर में सांप घुस आए तो सभी तरफ मिट्टी तेल या फिनाइल छिड़क दें, उसकी स्मेल सूंघकर सांप खुद-ब-खुद बाहर निकल जाएगा।

>एक लंबा डंडा लेकर सांप के सामने रखें, सांप उसमें चढ़ जाएगा इसके बाद उसे उठाकर बाहर निकालें और घर से दूर ले जाकर छोड़ दें।

>सांप एक ऐसा जीव है जो दीवार/बाउंड्री के किनारे रेंगता है, जिस जगह पर सांप हो उससे थोड़ी दूर पर पाइप से बोरा बांधकर रख दें, सांप जब बोरे में घुस जाए तो बोरा बांधकर दूर जंगल में ले जाकर छोड़ दें।


मंगलवार, 21 सितंबर 2021

कामदेव कौन थे ? Who is Kamdev s wife ?

 

कामदेव कौन है ? Who is Kamdev ?

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कामदेव सौंदर्य और कल्याण के देवता माने जाते हैं। कामदेव की पत्नी का नाम रति है। प्रेम और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना खासतौर से की जाती है। कामदेव वह देवता हैं, जिन्होंने भगवान शिव को भी समाधि से विचलित कर दिया था। कामदेव का एक नाम अनंग यानी बिना अंग वाला भी है।जब धर्म पर संकट आयी थी तब किसी भी देवता का दाल नहीं गला , तब मात्र अंतिम सहारा थे भगवान शिव जो तपश्या  में लीन रहते है, तो भगवान शिव को जगाने के लिए सभी देवता अपना अपना तरीका आजमा के देख लिए फिर भी भगवान शिव जी नहीं जागे तब देवताओ ने मिलकर ये योजना बनाई की कामदेव ही है जो भगवान को जगा सकते है , तो देवता गण कामदेव को भेज दिए भगवान शिव को जगाने कामदेव अपने बाण शिव जी के ऊपर छोड़ते गए लेकिन भगवान शिव को कोई फर्क नहीं पड़ा अंततः भगवान शिव निद्रा से जागे तो बहोत क्रोध  में थे, क्रोध में होने के वजह से भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुला और कामदेव को भस्म कर दिया लेकिन कामदेव की मृत्यु नहीं हुई पर उनका शरीर जल गया देवताओ के कहने पर भगवान शिव को अपने आप पर पछतावा हुआ और उन्होंने उनको एक वरदान दिया की की एक निश्चित समय आने पर आपको नयी शरीर प्राप्त हो जाएगी  ,कामदेव को कोई देख नहीं सकता  इसी कारण कामदेव दिखते नहीं हैं, लेकिन महसूस सभी को होते हैं। 

भगवान शिव कामदेव को भस्म करते हुए 



सर्वप्रथम उत्पत्ति
वेदों के अनुसार कामदेव की उत्पत्ति सर्वप्रथम हुई, यह विश्वविजयी भी हैं-
कामो जज्ञे प्रथमो नैनं देवा आपु: पितरो न मत्र्या:।
ततस्त्वमसि ज्यायान् विश्वहा महांस्तस्मैते काम।
अथर्ववेद- 9/2/19

अर्थ- कामदेव सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ। जिसे देव, पितर और मनुष्य न पा सके। इसलिए काम सबसे बड़ा विश्वविजयी है।
विभिन्न धर्मग्रंथों में इसका उल्लेख है-
सौरभ पल्लव मदनु बिलोका। भयउ कोपु कंपेउ त्रैलोका॥
तब सिवं तीसर नयन उघारा। चितवत कामु भयउ जरि छारा॥
श्रीरामचरितमानस 1/87/3
अर्थ- कामदेव द्वारा छोड़े गए पुष्पबाण से समाधि भंग होने के बाद भगवान शिव ने आम के पत्तों में छिपे हुए कामदेव को देखा तो बड़ा क्रोध हुआ, जिससे तीनों लोक कांप उठे। तब शिवजी ने तीसरा नेत्र खोला, उनके देखते ही कामदेव जलकर भस्म हो गए।
ऐसा है कामदेव का स्वरूप
कामदेव सौंदर्य की मूर्ति हैं। उनका शरीर सुंदर है, वे गन्ने से बना धनुष धारण करते हैं। पांच पुष्पबाण ही उनके हथियार हैं। भगवान शिव पर भी कामदेव ने पुष्पबाण चलाया था। इन बाणों के नाम हैं- नीलकमल, मल्लिका, आम्रमौर, चम्पक और शिरीष कुसम। ये तोते के रथ पर मकर अर्थात मछली के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं।
ब्रह्मा के हृदय से जन्म
श्रीमद्भागवत के अनुसार, सृष्टि में कामदेव का जन्म सबसे पहले धर्म की पत्नी श्रद्धा से हुआ था। देवजगत में ये ब्रह्मा के संकल्प पुत्र माने जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि ये ब्रह्मा के हृदय से उत्पन्न हुए थे-
हृदि कामो भ्रुव: क्रोधो लोभश्चाधरदच्छदात।
श्रीमद्भागवत-3/12/26

छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में दूर दूर से आते है संतान प्राप्ति के लिए

अर्थ- ब्रह्मा के हृदय से काम, भौंहों से क्रोध और नीचे के होंठ से लोभ उत्पन्न हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र  थे कामदेव
द्वापर काल में कामदेव ने ही भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लिया था। भगवान शंकर के शाप से जब कामदेव भस्म हो गया तो उसकी पत्नी रति अति व्याकुल होकर पति वियोग में उन्मत्त सी हो गई। उसने अपने पति की पुनः प्रापत्ति के लिये देवी पार्वती और भगवान शंकर को तपस्या करके प्रसन्न किया। पार्वती जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तेरा पति यदुकुल में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा और तुझे वह शम्बासुर के यहाँ मिलेगा। इसीलिये रति शम्बासुर के घर मायावती के नाम से दासी का कार्य करने लगी।
ये हैं कामदेव के अन्य नाम
कामदेव के अनेक नाम हैं जैसे- कंदर्प, काम, मदन, प्रद्युम्न, रतिपति, मदन, मन्मथ, मीनकेतन, कमरध्वज, मधुदीप, दर्पका, अनंग
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सपने क्यों आते है sapne kyon aate hai


 सपने मन की एक विशेष अवस्था होते हैं, जिसमें वास्तविकता का आभास होता है. स्वप्न न तो जागृत अवस्था में आते हैं न तो निद्रा में बल्कि यह दोनों के बीच की की तुरीयावस्था में आते हैं. 

सपने वास्तव में निद्रावस्था में मस्तिष्क में होने वाली क्रियाओं का परिणाम है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें सपने नहीं दिखाई देते, लेकिन कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि उन्हें बहुत सपने दिखाई देते हैं।

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार निद्रावस्था में हर व्यक्ति को रोजाना दो-तीन बार सपने आते हैं। सपने की घटनाएँ कुछ लोगों को याद रहती हैं, तो कुछ लोग सपने की घटनाओं को भूल जाते हैं। सपनों के विषय में लोगों के कई मत हैं।

वैसे तो स्वप्न शास्त्र के अनुसार हर सपना आने का एक मतलब होता है कभी-कभी हमें ऐसे सपने आते हैं जिसके बाद हम सो नहीं पाते और ऐसा लगता है मानो कि सपना नहीं वास्तव में कोई हकीकत है। तो वहीं कई लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि उन्हें हर रात डरावने सपने आते हैं और समय हमेशा यही डर लगता है कि अगर वैसा ही सपना दोबारा आया तो।

सपने का मतलब ,जाने क्या कहते है आपके सपने, हर सपने आपको करता है कुछ इशारा

इसलिए मैं आपको आज बताउंगा  डरावने सपने आने के कारण और उपाय तो आइए जानते हैं सबसे पहले बात करते हैं सोने की दिशा की अच्छी और सुखद नींद पाने के लिए सिर्फ  बैड का वास्तु ही नहीं बल्कि सोने का तरीका भी सही होना जरूरी होता है। वास्तु के अनुसार अच्छी नींद के लिए सोते समय सिर दक्षिण की तरफ और पैर उत्तर की ओर होनी चाहिए। लेकिन यदि सोते समय आपने सर बेडरूम में मौजूद वॉशरूम की तरफ है तो यह भी बुरे सपने आने का एक कारण हो सकता है क्योंकि बाथरूम से सारी नेगेटिव एनर्जी आपके मस्तिष्क से होते हुए शरीर में प्रवेश कर जाती है जिससे बुरे सपने आते हैं।

बुरी नजर के सफल १० अचूक रामबाण टोटके

दूसरा कारण जो बुरे सपने आने के पीछे हो सकता है वह है बेड में पड़ा कबाड़ बहुत से लोग अपने बेड बॉक्स में फालतू के बेकार पड़ी चीजों को रख देते हैं जबकि बेकार या खराब चीजों को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए इन चीजों में घर में नेगेटिव एनर्जी आती है अगर आप उन चीजों को बैड में रख देते हैं तो इसका सीधा असर पड़ता है और आपको डरावने सपने आने लगते हैं। वहीं कई लोग अपने बैड के निचले हिस्से में जूते चप्पल आदि रख देते हैं जबकि ऐसा करना उनके लिए ठीक नहीं होता।

सपने का मतलब ,जाने क्या कहते है आपके सपने, हर सपने आपको करता है कुछ इशारा

रात में डरावनी सपने आने का एक कारण तनाव लेना भी हो सकता है  तनाव से   हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं सही तरीके से काम नहीं करती और दिमाग कल्पना करने लगता है। सामान्य बात यह है कि दिन भर में हम जो कुछ भी सोचते हैं रात के समय वही सब बातें दिमाग में चलती है और बुरे सपनों का रूप ले लेती है।

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डरावने सपने आने की बात करें तो इसका एक बड़ा कारण डरावनी या  क्राइम सीरियल देखना भी है आपने भी देखा होगा अधिकतर डरावनी और क्राइम सीरियल रात में ऑन एयर किए जाते हैं क्योंकि रात के समय ऐसी चीज दिमाग पर सबसे ज्यादा असर करती है जो लोग रात में सोने से पहले इस तरह के टीवी सीरियल वगैरह देखते हैं उन्हें ही डरावने सपने आते हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार रंग भी हमारे दिमाग और सोचने की क्षमता पर असर डालते हैं हम जितने अच्छे और ठंडे रंग देखते हैं दिमाग भी उतना ही शांत रहता है इसके विपरीत अगर ज्यादा डार्क रंगों का इस्तेमाल करते हैं तो दिमाग विचलित रहता है तो अगर आप डार्क  रंग की चादर ओढ़ थे हैं या डार्क  बेडशीट पर सोते हैं तो आपको रात में डरावने सपने आ सकते हैं इसलिए डार्क कलर का इस्तेमाल नहीं करें।

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

छोटे दुकानदारों को कैसे मिलेगा लोन LOAN LOAN PMSVANIDHI


 

PM SVANidhi: छोटे दुकानदारों ,रोड किनारे ठेली लगाने  वालों की आर्थिक मदद के लिए लॉन्च की गई प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना के तहत आए आवेदनों ने 5 लाख का आंकड़ा पार कर लिया है. स्कीम को 2 जुलाई 2020 को लॉन्च किया गया था , पीएम स्वनिधि के अंतर्गत 42  लाख से अधिक लोन मंजूर कर दिए गए हैं.जिसमे 8  लाख से भी ज्यादा लोगो ने लोन की सारी  क़िस्त जमा कर दिया है।   आज 1  साल हो गए इस योजना को लांच हुए,   PM स्वनिधि स्कीम को आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया है.

कोविड19 लॉकडाउन के कारण व्यवसाय में नुकसान का सामना कर रहे ठेली रेहड़ी -पटरी   वालों व छोटे मोटी दुकान वालों को अपना कारोबार फिर से खड़ा करने में मदद के लिए यह स्कीम लाई गई. सड़क किनारे ठेले या रेहड़ी-पटरी पर दुकान चलाने वालों, फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून और पान की दुकानें लगाने वाले भी पीएम स्वनिधि के तहत लोन ले सकते हैं. हालांकि इसके लिए शर्त है कि वेंडर्स 24 मार्च 2020 या उससे पहले से वेंडिंग कर रहे हों.

1 साल के लिए मिलता है 10000 रु तक का लोन

पीएम स्वनिधि स्कीम में शहरी इलाकों के स्ट्रीट वेंडर्स को 1 साल की अवधि के लिए 10000 रुपये तक का कोलेट्रल फ्री लोन मिलता है. यानी कर्ज के लिए किसी तरह की गारंटी नहीं ली जाएगी. लोन का मासिक किस्तों में भुगतान करना होगा. पीएम स्वनिधि स्कीम में मिलने वाले लोन के नियमित पुनर्भुगतान पर 7 फीसदी सालाना की ब्याज सब्सिडी है. ब्याज सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में तिमाही आधार पर आएगी. लोन का समय से पहले भुगतान करने पर सब्सिडी एक ही बार में खाते में आ जाएगी. साथ ही तय तरीके से डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए 1200 रुपये सालाना तक का कैशबैक भी मिलता है. पहले लोन के समय पर और जल्द भुगतान की स्थिति में लाभार्थी अधिक लोन प्राप्त करने का पात्र हो जाता है.

कौन देगा लोन

स्कीम के तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, सहकारी बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूंशंस और एसएचजी बैंक लोन उपलब्ध कराएंगे. स्कीम का कार्यकाल मार्च 2022 तक है. स्कीम के लिए इंप्लीमेंटेशन पार्टनर स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (SIDBI) है. लाभार्थी के लिए अनिवार्य केवाईसी दस्तावेज आधार कार्ड व मतदाता पहचान पत्र हैं. इसके अलावा ड्राइविंग लाइसेंस, मनरेगा कार्ड, पैन कार्ड भी केवाईसी दस्तावेजों में शामिल हैं.

अप्लाई करने की प्रक्रिया व शर्तें

पीएम स्वनिधि के तहत लोन के लिए अप्लाई करने के लिए वेंडर का मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना जरूरी है. पीएम स्वनिधि योजना का लाभ उठाने के लिए pmsvanidhi.mohua.org.in या मोबाइल ऐप की मदद से अप्लाई किया जा सकता है. यह लोन देशभर में फैले 3.8 लाख कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के जरिए भी लिया जा सकता है.
लोन के लिए अप्लाई करने के लिए अपने क्षेत्र के बैंकिंग कॉरस्पोन्डेंट/ माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन के एजेंट से भी संपर्क किया जा सकता है.

लोन के लिए अप्लाई करने के लिए योग्य हैं या नहीं और सर्वेक्षण सूची में नाम है या नहीं यह वेबसाइट से पता किया जा सकता है. जिन विक्रेताओं का नाम सर्वेक्षण सूची में है लेकिन उनके पास पहचान पत्र या सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग नहीं है, वे भी लाभ उठा सकते हैं. ऐसे विक्रेताओं को वेब पोर्टल से एक प्रोविजनल सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग जारी किया जाएगा.

यह स्कीम उन विक्रेताओं के लिए भी है, जो शहरी इलाकों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और शहर/कस्बे में आकर बिक्री करते हैं व सर्वेक्षण में शामिल नहीं हो पाए हैं. ऐसे विक्रेताओं को यूएलबी/टाउन वेंडिंग कमिटी से सिफारिश पत्र यानी लेटर ऑफ रिकमंडेशन प्राप्त करना होगा. इसके अलावा शहरी स्थानीय निकाय को सामान्य आवेदन के जरिए भी अनुरोध किया जा सकता है.

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

काठगढ़ महादेव मंदिर – यहां है आधा शिव आधा पार्वती रूप शिवलिंग (अर्धनारीश्वर शिवलिंग) kaathgarh mahadev mandir





 Kathgarh Mahadev History in Hindi : हिमाचल प्रदेश की भूमि को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर बहुत से आस्था के केंद्र विद्यमान हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के इंदौरा उपमंडल में काठगढ़ महादेव का मंदिर स्थित है।  यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां शिवलिंग ऐसे स्वरुप में विद्यमान हैं जो दो भागों में बंटे हुए हैं अर्थात मां पार्वती और भगवान शिव के दो विभिन्न रूपों को ग्रहों और नक्षत्रों के परिवर्तित होने के अनुसार इनके दोनों भागों के मध्य का अंतर घटता-बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यह स्वरूप दो भागों में बंट जाता है और शीत ऋतु में पुन: एक रूप धारण कर लेता है।


शिव पुराण में वर्णित कथा (Story of Shiv Purana)

शिव पुराण की विधेश्वर संहिता के अनुसार पद्म कल्प के प्रारंभ में एक बार ब्रह्मा और विष्णु के मध्य श्रेष्ठता का विवाद उत्पन्न हो गया और दोनों दिव्यास्त्र लेकर युद्ध हेतु उन्मुख हो उठे। यह भयंकर स्थिति देख शिव सहसा वहां आदि अनंत ज्योतिर्मय स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए, जिससे दोनों देवताओं के दिव्यास्त्र स्वत: ही शांत हो गए।

ब्रह्मा और विष्णु दोनों उस स्तंभ के आदि-अंत का मूल जानने के लिए जुट गए। विष्णु शुक्र का रूप धरकर पाताल गए, मगर अंत न पा सके। ब्रह्मा आकाश से केतकी का फूल लेकर विष्णु के पास पहुंचे और बोले- ‘मैं स्तंभ का अंत खोज आया हूं, जिसके ऊपर यह केतकी का फूल है।’

ब्रह्मा का यह छल देखकर शंकर वहां प्रकट हो गए और विष्णु ने उनके चरण पकड़ लिए। तब शंकर ने कहा कि आप दोनों समान हैं। यही अग्नि तुल्य स्तंभ, काठगढ़ के रूप में जाना जाने लगा। ईशान संहिता के अनुसार इस शिवलिंग का प्रादुर्भाव फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि को हुआ था।चूंकि शिव का वह दिव्य लिंग शिवरात्रि को प्रगट हुआ था, इसलिए लोक मान्यता है कि काठगढ महादेव शिवलिंग के दो भाग भी चन्द्रमा की कलाओं के साथ करीब आते और दूर होते हैं। शिवरात्रि के  दिन इनका मिलन माना जाता है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विश्व विजेता सिकंदर ईसा से 326 वर्ष पूर्व जब पंजाब पहुंचा, तो प्रवेश से पूर्व मीरथल नामक गांव में पांच हज़ार सैनिकों को खुले मैदान में विश्राम की सलाह दी। इस स्थान पर उसने देखा कि एक फ़कीर शिवलिंग की पूजा में व्यस्त था।

उसने फ़कीर से कहा- ‘आप मेरे साथ यूनान चलें। मैं आपको दुनिया का हर ऐश्वर्य दूंगा।’ फ़कीर ने सिकंदर की बात को अनसुना करते हुए कहा- ‘आप थोड़ा पीछे हट जाएं और सूर्य का प्रकाश मेरे तक आने दें।’ फ़कीर की इस बात से प्रभावित होकर सिकंदर ने टीले पर काठगढ़ महादेव का मंदिर बनाने के लिए भूमि को समतल करवाया और चारदीवारी बनवाई। इस चारदीवारी के ब्यास नदी की ओर अष्टकोणीय चबूतरे बनवाए, जो आज भी यहां हैं।


Kathgarh Mahadev History in Hindi
रणजीत सिंह ने किया जीर्णोद्धार 

कहते हैं, महाराजा रणजीत सिंह ने जब गद्दी संभाली, तो पूरे राज्य के धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। वह जब काठगढ़ पहुंचे, तो इतना आनंदित हुए कि उन्होंने आदि शिवलिंग के  लिए  शीघ्र ही  सुंदर मंदिर बनवाया और वहां पूजा करके और दूसरे मंदिरो के  लिए निकले । मंदिर के पास ही बने एक कुएं का जल महाराजा रणजीत सिंह को   इतना पसंद था कि वह हर शुभकार्य के लिए यहीं से जल मंगवाते थे।

अर्धनारीश्वर का रूप

दो भागों में विभाजित आदि शिवलिंग का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर दोनों का ‘मिलन’ हो जाता है। यह पावन शिवलिंग अष्टकोणीय है तथा काले-भूरे रंग का है। शिव रूप में पूजे जाते शिवलिंग की ऊंचाई 7-8 फुट है जबकि पार्वती के रूप में अराध्य हिस्सा 5-6 फुट ऊंचा है।

दशरथ पुत्र भरत की प्रिय पूजा-स्थली

मान्यता है, त्रेता युग में भगवान राम के भाई भरत जब भी अपने ननिहाल कैकेय देश (कश्मीर) जाते थे, तो काठगढ़ में शिवलिंग की पूजा किया करते थे।

शिवरात्रि के त्यौहार पर प्रत्येक वर्ष यहां पर तीन दिवसीय भारी मेला लगता है। शिव और शक्ति के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप श्री संगम के दर्शन से मानव जीवन में आने वाले सभी पारिवारिक और मानसिक दु:खों का अंत हो जाता है। इसके अलावा सावन के महीने में भी काठगढ महादेव का मेला लगता है 

शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में दूर दूर से आते है संतान प्राप्ति के लिए , chhattisgarh ke is mandir me dur dur se aate hai santan prapti ke liye

छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में दूर दूर से आते है  संतान प्राप्ति के लिए , chhattisgarh ke is mandir me dur dur se aate hai santan prapti ke liye  






छत्तीसगढ़ अपनी पुरातात्विक सम्पदा के कारण आज भारत ही नहीं बल्कि विश्व में भी अपनी एक अलग ही पहचान बना चुका है। यहाँ के 15000 गांवों में से 1000 गांव में कही न कही प्राचीन इतिहास के साक्ष्य आज भी विद्ययामान है। जो कि छत्तीसगढ़ के लिए एक गौरव की बात है
इसी प्रकार का प्राकृतिक एवं धार्मिक व पुरातात्विक स्थल रमई पाठ सोरिद खुर्द ग्राम में है विध्यमान है जो विश्व भर में संतान प्राप्ति के लिए विख्यात है

रामायण काल से जुडी है इस स्थान की कहानी :-

माँ रमई पाठ धाम की कहानी रामायण काल से जुडी है यहाँ के पुराने बुजुर्ग लोग बताते है की रामायण काल में जब भगवन राम ने अपने प्रजा के सुख के लिए अपने सुख का त्याग कर माता सीता को वन में छोड़ दिया था तब भगवान श्री राम के अनुज लक्ष्मण जी माता सीता को सोरिद खुर्द के जंगल में छोड़ा था तब यहाँ माता सीता के साथ कोई नहीं था , जब माता सीता को प्यास लगी थी तब लक्ष्मण जी शक्ति बाण चलाकर माता गंगा को माता सीता के सेवा के लिए रमई पाठ में बुलाया रमई पाठ में माता गंगा विद्यमान है यहाँ एक आम का पेड़ है जिसके जड़ से माता गंगा हमेशा प्रवाहित होती रहती है इस जगह से निकलने वाला जल कुछ दुरी पर जाकर लुप्त हो जाती है यह जल कहाँ जाता है किसी को नहीं पता ,माता सीता को ही रमई कहा जाता है यह जगह रामायण कल से माता सीता (रमई ) से जुडी हुई है इस कारण इस स्थान का नाम रमई पाठ पड़ा । बताया जाता है की माता सीता यहाँ से अंतर्ध्यान होकर छत्तीसगढ़ के एक स्थान तुरतुरिया चली गयी थी इसके बारे में मै आपको जानकारी इकठ्ठा कर बताऊंगा

संतान प्राप्ति के लिए जाना जाता है रमई पाठ :-

मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ाया जाने वाला लोहे का संकल 




रमई पाठ में अधिकतर ऐसे दम्पति आते है जिनकी कोई संतान नहीं होता कहते है यहाँ जो मनोकामना मागो पूरी होती है, मनोकामना पूर्ण होने पर यहाँ लोहे का संकल चढ़ाया जाता है या बकरे की बली दी जाती है ,मेरे ख्याल से ये गलत है कोई व्यक्ति अपनी खुशी या अपने जान की सलामति के लिए किसी बेजान की जान लेले ये मेरा हृदय कभी स्वीकार नहीं करता ये लोगो द्वारा अपने स्वार्थ के के लिए बनाया गया नियम है , जो हमारे सात्विक देवी देवता स्वीकार नहीं करते |

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हर साल लगता है मेला :-

यहाँ विस्थापित प्राचीन कालीन मुर्तियो में नरसिंह नाथ, देवी के रूप में हनुमान जी की प्रतिमा, भगवान् शंकर,भगवान् विष्णु, रूद्र भैरव, काना कुँवर व रमई माता की मुर्तिया शामिल है। माना जाता है कि यहाँ की सभी मुर्तिया फिंगेश्वर राज घराने द्वारा स्थापित की गई थी। फिंगेश्वर गोड़ राजाओं की जमीदारी थी। जो अपने राज्य पर आने वाली विपत्तियो, प्राकृतिक बाधाएँ एवं अन्य कारणो से सुरक्षा की दृष्टि से अपने कुल देवी के रूप स्थापना की गई हैं। जहाँ चैत शुक्ल पक्ष पुर्णिमा पर जातरा (मनोकामना यात्रा) चड़ता था।

वन औषधियों से परिपूर्ण:-


सोरिदखुर्द चारो ओर से पहाड़ियो से घिरा हुआ है। ग्राम के उत्तर में मॉ रमई पाठ का स्थान है जिसे माँ रमई डोगरी के नाम से जानते है। यह घने वनो से आच्छादीत, वन औषधियों से परिपूर्ण प्राकृतिक छटा को अपने में समेटे हुए है। पहले यहां जंगली जानवरो की बहुतायत थी लेकिन ब जंगलो के कटने के कारण जंगली जानवर बहुत कम देखने को मिलता है। जहां वन समिति एवं फारेस्ट रिजर्व द्वारा मॉ रमई पाठ की आरक्षित क्षेत्र के विकास के लिए प्रयत्नशील है।

रामायण का साक्ष्य का प्रतिक :-

रामसेतु में उपयोग किया गया रामशीला 



जब भगवान् राम को अपनी पूरी सेना को लेकर लंका जाना था तब लंका मार्ग में समुद्र होने के कारण सेना का लंका पहुंचना बहुत ही मुश्किल था ऐसे में समुद्र में पत्थर से रास्ता बनाया गया जो पानी के उपर तैरता था जिस जगह पर ये पुल बनाया गया था आज वो जगह रामसेतु के नाम से जाना जाता है जो भारत के दक्षिण में रामेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध है माँ रमई पाठ धाम में वहां से रामसेतु का पत्थर लाया गया है जिसे एक छोटा सा कुण्ड में रखा गया है यह पत्थर पानी में ऐसे तैरता है जैसे इसका वजन बिलकुल भी न हो पर इसे हाथ में उठाने पर बहुत वजन है

चमत्कारिक एवं अद्भुत शक्ति का प्रतीक:-

आम के पेड़ से निकलती गंगा मैया 


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चमत्कारिक शक्ति यहाँ का आम का पेड़ है। जिसके जड़ से हमेशा स्वच्छ, मीठा व निर्मल जल धारा बहती रहती हैं। पुरे पहाड़ी में कही भी पानी नही मिलेगी लेकिन आम के इस वृक्ष के जड़ से बारहों महिने सत्त जलधारा प्रवाहित होती रहती है जो एक फलॉग की दुरी तक डोगा पथरा से निचे गिरते कुछ दूरी पर जाकर विलुप्त हो जाती है। कहा जाता है कि फिंगेश्वर के राजा महेन्द्र बहादुर के पूर्वज यहा प्रति वर्ष चैत पुर्णिमा पर लाव-लश्कर के साथ देवी के दरबार में जात्रा मनाने आते थे। तब निचे राजा पड़ाव (विश्राम-स्थल) से नंगे पैर चलकर डोगा पथरा की पूजा अर्चना कर गिरती जल से स्नान करने के बाद देवी दर्शन करते थे। यहाँ परंम्परा आज भी कायम हैं। राज परिवार के सदस्यो द्वाराडोगा पथरा से गिरती जल से स्नान पश्चात ही मॉ रमई पाठ के दरबार में पहुंचते है।

आज भी माता सीता का अनुभव :-

यहां आम का वृक्ष है जो सदियों पुराने हाने के बाद भी एक ही जैसा है। इसके साथ-साथ अदृश्य रूप में भी माता की अनुभूति कुछ लोगो ने की है। जिनके प्राण संकट के समय अनुभव होने की बात कही। जिसके कारण यहां लोगो में आस्था व विश्वास बनी

पहुँच मार्ग :-

राजधानी रायपुर से 75 कि.मी. दुर एवं प्रयाग तीर्थ राजिम से पूर्व दिशा में 30 कि. मी., फिंगेश्वर छुरा मार्ग पर फिंगेश्वर से महज 12 कि.मी. व छुरा से 24 कि.मी. दुर सोरिद खुर्द की पहाड़ी पर माँ रमई पाठ देवी का मंदिर है।


मित्रो आपके अमूल्य सुझाव की प्रतीक्षा रहेगी इस धन्यवाद



सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

बुरी नजर के सफल १० अचूक रामबाण टोटके buri najar ke safal 10 achuk ramban totke

buri najar




 नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके लिए लाया हूं नजर उतारने के १० अचूक रामबाण टोटके  दोस्तों आज के दौर में हर कोई एक दूसरे के पैर  खींचने में लगा हुआ है , चाहे  वो अपने हो या पराये , ये कहा नहीं जा सकता कब किसकी बुरी नजर लगी , बचे ही नहीं बड़ो को भी बुरी नजर लग जाती है , घर पर बुरी नजर लग जाती है , आपके कारोबार पर ,दुकान में गाहको का आना काम हो जाता है , कई बार नजर का दोष ऐसे होता है की  ग्राहक तो आते है दुकान  पर आके बिना कुछ लिए  खाली  हाँथ वापस चले जाते है लोग माने  या न माने  पर टोन टोटके बुरी नजर जैसी चीजे आज भी दुनियां में होती है , क्योंकि अगर हम भगवन को मानते है की वो इस दुनिया में आज भी विद्यमान है , तो आपको शैतान को भी मानना पड़ेगा की बुरी शक्तियां भी होती है , क्योंकि सत्य है तो असत्य भी है पुण्य है तो पाप भी है , दोस्तों किसी ने नजर लगाया हो तो ये  नहीं की वो टोने टोटके जनता हो नजर लगाने वाला कोई भी सकता है वो आपके अपने भी हो सकते है ,क्योंकि बुरी नजर घृणा से पैदा होती है ये शक्ति हर किसी में विध्यमान है  ज्यादातर लोगो को यह कहते हुए देखा गया है की कोई वृद्ध महिला है तो वो डायन है उसी ने नजर डाला है फलां को या किसी को,  

बुरी नज़र के लक्षण

यदि किसी घर को नज़र लग जाए तो उस घर में क्लेश पैदा हो जाता है। घर में चोरी-चकारी की घटना होती है और उस घर में अशांति का माहौल बना रहता है। घर के सदस्य किसी न किसी रोग से पीड़ित होने लगते हैं। उस घर में दरिद्रता आने लगती है

  • यदि काम-धंधे को नज़र लग जाए तो व्यापार ठप होने लगता है। बिज़नेस में उसे लाभ की बजाय हानि होती है
  • यदि किसी व्यक्ति को नज़र लग जाए तो वह रोगी अथवा किसी बुरी संगति में फंस जाता है जिससे समाज में उसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है अथवा उसके बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं
  • यदि किसी शिशु को नज़र लग जाए तो वह बीमार पड़ जाता है अथवा वह बिना बात के ज़ोर-ज़ोर से रोता है

चलो अब जानते है न बुरी जर उतरने के बारे में  , नजर उतरने का टोटका निम्नलिखित है ,

सम्मोहन से जाने किसी भी  व्यक्ति के मन की बात

1 . सरसो के तेल से बुरी नजर  का उतारा 

दोस्तों  ये जो टोटका मै बताने जा रहा हूँ वो मेरा खुद का आजमाया हुआ है इस टोटके को आप किसी भी उम्र के व्यक्ति के ऊपर आजमा सकते हो , सर्वप्रथम सामग्री निम्नानुसार है 

१. रुई की बत्ती ६ इंच 
२. सरसो का तेल 
३. चिमटा 

विधि 

सर्वप्रथम रुई की  बत्ती को सरसो के तेल में भिगोये भिगोने के बाद नजर लगे व्यक्ति के सर से पांव तक 7 बार  उतारे , ये क्रिया करने के बाद बत्ती को चिमटा से पकड़कर जलाये , आप देखेंगे की अगर नजर लगी होगी तो बत्ती को जलाने के बाद उसमे से बहुत ही अजीब बदबू आएगी ,बत्ती जलने के समय अगर बत्ती में से तेल बहुत अधिक मात्रा में टपकने लगे तो समझिये बहुत ही भयंकर नजर  है 

2  . नीबू से बुरी नजर के इलाज 

नीबू से नजर उतरने की विधि तो आप जानते ही होंगे पर मै जो आपको बता रहा हूँ वो मेरे गुरूजी का बताया  है और इस टोटके को मै  कई बार आजमाया हूँ नीबू से नजर उतरने की मै  आपको 2  विधि बताऊंगा 

पहला विधि  

अगर किसी भी व्यक्ति को नजर लगी हो तो नीबू को उसके ऊपर से 7 या 11 बार सर से लेकर पैर तक उतरना है उसके बाद वो नीबू अपने घर के पूजा स्थान में रख दे भगवान की पूजा आरती कर अपने इस्ट देव से प्रार्थना करे उसके बाद उस नीबू को घर के बहार जाकर किसी भी दिवार  से मरे ध्यान रहे की आपको नीबू दिवार पर इतनी जोर से मारना है की नीबू के चीथड़े उड़ जाये , अगर नीबू नहीं टुटा तो आपका टोटका अधूरा जायेगा फिर आपको यही क्रिया दुबारा करना पड़ेगा , पर यह टोटका बहुत ही ज्यादा असरदार है  एक बार जरूर आजमाए 



दूसरा विधि 

इस विधि में भी आपको नीबू लेना है पर इसमें आपको 3 सामग्री लगेगी 
सामग्री निम्नानुसार है 
        1 . तीन  नीबू 
        2 . थोड़ा सा  सिंदूर 
        3 . एक चाकु 

विधि 
सर्वप्रथम आपको तीनो नीबू को चार फाक काटना है याद रहे पूरा नहीं काटना है याने की चार टुकड़े तो करेंगे पर पूरा अलग नहीं करना है फिर तीनो नीबू  में सिंदूर दाल दे उसके बाद नजर लगे व्यक्ति के सिर  से पांव तक 7 बार उतार  दे उसके बाद उस  नीबू को पेपर में लपेटकर घर के आस पास के किसी चौराहे  पर (जहां चार  रास्ता जुड़ता हो )  रख कर घर वापस आ जाये 

सावधानी 

ये टोटका करने तक किसी से  नहीं करना है , मतलब  जब आप नीबू को चौराहे पर छोड़ने जायेंगे तब आपसे कई सरे लोग बात करने  कोशिश   आपके मुँह से आवाज़ नहीं निकलना चाहिए दूसरी सावधानी की आपको नीबू चौराहे पर छोड़ने के बाद पीछे मुद कर नहीं देखा है 

3 . लौंग से बुरी नजर का टोटका 



इस टोटके में आपको ७ साबुत लौंग लेना है लौंग का फूल  होना चाहिए उसे लेकर नजर लगे व्यक्ति के सिर से पांव तक 7  बार उतारा  करके आग में जला दे बुरी नजर   मिलेगा 

4 . मिर्च और राई से बुरी नजर के टोटके 

इस टोटके में आपको सात साबुत सूखा लाल  मिर्च  लेना है और 1  चम्मच के बराबर राई (सरसो ) लेना है जिस किसी भी बच्चे  को बुरी नजर लगा हो उस बच्चे  के ऊपर से 7  बार उतार करके किसी धूपदानी में  जलाकर मिर्च और राई (सरसो ) को जलादे ये टोटका बहुत ही प्रचलित है और ये अधिक से अधिक बचो में फायदा होते देखा गया है 

5 .गेहू के आंटे  से नजर के टोटके 



अगर आपके घर आपके छोटे बच्चे आधी रात को अचानक रोने लगे तो समझना चाहिए की आपके बचे के ऊपर बहुत शक्तिशाली प्रयोग किया  है मतलब की आपके बच्चे के सिर  पर भुत , मसान जिन्न या चुड़ैल बैठा दिया गया हो  ऐसे में बच्चा दूध नहीं पिता  अजीब ढंग से रोने लगता है , कई बार तो ये देखा गया है की बच्चा दूध पीना छोड़ता ही नहीं यह बहुत ही गंभीर समस्या होती है इसके लिए लोग तान्त्रिक बाबा  वगैरह के चक्कर लगाना शुरू कर देते है चलो जान लेते है गेहू के अन्ते से नजर कैसे उतारा जाता है 


विधि

सर्वप्रथम आपको दो मुट्ठी गेहूं का आटा लेना होगा और एक चाकू या लोहे की किल  की जरूरत होगी दो मुट्ठी आटे को बच्चे के सिर से पांव तक सात बार उतारना है उसके बाद घर के आंगन या घर के बाहर जाकर दाएं हाथ का आधा आटा ऊपर की ओर फेकना  है फिर दोनों हाथ का आंटा  दाएं और बाएं की ओर फेंक देना और तुरंत कमरे में वापस आए , ध्यान रहे वापस आते वक़्त पीछे मुड़कर नहीं देखना है | कमरे में आने के लिए जितने द्वार है उन सभी द्वार पर चाकू या किल से तीन तीन रेखा खींचना है इस टोटके को अर्धरात्रि में करना है और सुबह तक जो भी हो जाये दरवाजा नहीं खोलना है 

6 .दूध से नजर का उतारा 

शनिवार या रविवार के दिन  नजर लगे व्यक्ति के सिर पर से 7 बार दूर के फेरे लगाए बाद में यह दूध काले कुत्ते को पीला दे 

7 .काली उड़द से बुरी नजर 

नजर लगे व्यक्ति या बालक को दरवाजे के बीच (देहरी ) में  बैठा दें थोड़ी सी काली उड़द नमक और मिट्टी बराबर बराबर मात्रा में लेकर सात फेरे लगाकर दक्षिण दिशा की फेक दें 

8 .झाड़ू या जुते  से बुरी नजर दूर करना 

अगर किसी व्यक्ति को  नजर लग जाती है और उस व्यक्ति को किसी पर शक है कि इसमें नजर लगाया है तो उस  व्यक्ति का नाम लेकर झाड़ू  या  जूता हाँथ  में लेकर 21 बार उतारे और फिर उसे जमीन पर जोर-जोर से 21 बार पटके 

9 . फिटकरी से बुरी नजर 

थोड़ी सी फिटकरी ले ले , नजर लगे व्यक्ति पर से 31 बार उतारे फिर उसे चौराहे पर ले जाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दें नजर दोष दूर हो जायेगा | 

10 . घर या दुकान पर बुरी नजर 


जैसे मनुष्य को किसी की बुरी नजर लग जाती है वैसे ही घर या दुकान को भी बुरी नजर लग जाती है 
ऐसे में आपके घर में अशांति का माहौल बना रहता है , घर में बेवजह झगड़ा होना पति पत्नी में अनबन ऐसे ही कई समस्याएं आती है इसको दुर  करने के बहुत से उपाय है पर मै आपको सरल उपाय दे रहा हूँ जो आप खुद ही अपने घर पर आसानी से कर सकते है 
१. घर या दुकान के मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल लगाए आपके घर या दुकान पर बुरी नजर नहीं लगेगी | 
और साथ ही आप देखेंगे की आपके व्यापर में वृद्धि भी शुरू हो जाएगी 
२. शनिवार के दिन 1 नीबू और सात मिर्च धागे में पिरो ले और अपने घर या दुकान के मुख मार्ग में बांध दे इससे आपके घर या दुकान में नजर नहीं लगेगी आप इसे सप्ताह के सप्ताह बदल सकते है 

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