काली हवेली का रहस्य
आज हम लेकर आए हैं एक ऐसी ही डरावनी सस्पेंस कहानी, काली हवेली का रहस्य — जो आपकी रूह तक को हिला देगी।
शहर से कुछ दूर, पुराने जंगल के किनारे एक काली हवेली खड़ी थी — टूटी दीवारें, झुकी छत और खामोश खिड़कियाँ। लोग कहते थे, वहाँ रात के समय कोई अदृश्य परछाई घूमती है। लेकिन किसी ने कभी उसे देखा नहीं था।
एक दिन, अर्जुन, जो कि एक पत्रकार था, उस हवेली के रहस्य को जानने वहाँ पहुँच गया। उसका कैमरा, टॉर्च और एक नोटबुक — बस यही हथियार थे उसके पास। उसने गाँव वालों से सुना था कि हवेली के अंदर से रात में किसी महिला के रोने की आवाज़ आती है।
जैसे ही सूरज डूबा, हवेली और भी डरावनी लगने लगी। हवेली का बड़ा दरवाज़ा जंग से भरा था, जो अर्जुन के धकेलते ही भयानक आवाज़ के साथ खुला। अंदर धूल की परतें, टूटे झूमर और बासी हवा का भारीपन।
वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा। एक कमरे में दीवार पर पुरानी तस्वीरें टंगी थीं — एक अमीर परिवार की। एक महिला, उसका पति और एक छोटा बच्चा। तस्वीर के नीचे नाम लिखा था — रजनी देवी।
अचानक, ऊपर की मंज़िल से किसी के कदमों की आहट आई। अर्जुन ने टॉर्च उठाई और सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। हर कदम के साथ हवा ठंडी होती जा रही थी।
ऊपर पहुँचते ही उसने देखा — एक कमरा बंद था, पर दरवाज़े के नीचे से हल्की रोशनी झलक रही थी। उसने धीरे से दरवाज़ा खोला। अंदर, एक पुरानी अलमारी खुली हुई थी और उसके सामने एक औरत खड़ी थी — सफेद साड़ी में, बाल बिखरे हुए, चेहरा धुंधला सा।
अर्जुन का दिल जोर से धड़कने लगा। उसने डरते हुए कहा,
“क…कौन हैं आप?”
महिला ने धीरे-धीरे सिर घुमाया और बोली,
“क्यों आए हो यहाँ? मैं अब तक चैन में थी…”
अर्जुन के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वह पीछे हटने ही वाला था कि महिला की आवाज़ बदल गई — अब वह कराहने लगी। दीवारों से जैसे सिसकियाँ आने लगीं। टॉर्च अपने आप बंद हो गई।
अंधेरे में बस उसकी आवाज़ गूँज रही थी —
“मेरे बच्चे को ढूँढो… उसने मुझे यहाँ बंद किया था…”
अर्जुन घबरा कर नीचे भागा। हवेली का दरवाज़ा खुद-ब-खुद बंद हो गया। उसने टॉर्च दोबारा जलाने की कोशिश की, और तभी दीवार पर उसे कुछ दिखा — खून से लिखा हुआ संदेश:
“सत्य को उजागर करो।”
अर्जुन किसी तरह भागते हुए बाहर पहुँचा। अगले दिन उसने हवेली का रिकॉर्ड खंगाला — पता चला कि रजनी देवी की मौत हादसा नहीं, हत्या थी। पति ने बीमा के लालच में उसे हवेली में बंद कर आग लगा दी थी।
लेकिन लाश कभी मिली ही नहीं।
अब भी, हर अमावस्या की रात, हवेली से किसी के रोने की आवाज़ आती है… और जब भी कोई वहाँ जाता है — उसके कैमरे में एक धुंधली परछाई ज़रूर कैद होती है — रजनी देवी की।
कहानी का संदेश
लालच और पाप का अंत कभी शुभ नहीं होता। काली हवेली आज भी इंसानों के गुनाहों की गवाही देती है।

