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शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

गायत्री मंत्र के सभी शब्दों का अर्थ (मतलब) क्या है ?(Gayatri Mantra)


 

गायत्री मंत्र के सभी शब्दों  का अर्थ (मतलब) क्या है ?

सभी ग्रंथों में लिखा है कि मंत्रों का मंत्र महामंत्र गायत्री मंत्र है यह प्रथम इसलिए है क्योंकि  विश्व की प्रथम पुस्तक ऋंगवेद  की शुरुआत ही गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) से होती है कहते हैं कि ब्रह्मा ने चार वेदों की रचना के पूर्व 24 अक्षरों के गायत्री मंत्र की रचना की थी, गायत्री मंत्र के हर शब्द का खास अर्थ है,

 आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के सभी अक्षरों का अर्थ (मतलब) 

ॐ  भूर्भुव स्व तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात् 

प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आवाहन हो जाता है 

गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों के 24 देवता है उनकी अर्थात  चौबीस शक्तियां है ,

24 शक्ति बीज है गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का  लाभ और सिद्धियां मिलती है 

ॐ शब्द 3 शब्दों से मिलकर बना है अ ,उ  और म इन तीनो शब्दों को एक साथ मिला कर बोलने पर जो ध्वनि निकलती है वो है ॐ | 

गायत्री मंत्र का अर्थ
उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें.


गायत्री मंत्र जाप कब करें
1. सूर्योदय से पूर्व
2. दोपहर में
3. सूर्यास्त से पूर्व

ये भी पढ़े...

घर में सांप के आने से क्या होता है?



गायत्री मंत्र जाप के फायदे
1. गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से मन शांत और एकाग्र रहता है .

2. इस मंत्र के जाप से दुख, कष्ट, दरिद्रता , पाप आदि दूर होते हैं.

3. संतान प्राप्ति के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है.

4. कार्यों में सफलता, करियर में उन्नति आदि के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.

5. विरोधियों या शत्रुओं में अपना वर्चस्व स्थापित करने के​ लिए घी एवं नारियल के बुरे का हवन करें. उस दौरान गायत्री मंत्र का जाप करते हैं.

6. जिन विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति कमजोर होती है, उनको गायत्री मंत्र का नियमित जाप एक माला करनी चाहिए.

7. पितृदोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु तथा शनि दोष की शांति के लिए शिव गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.

सोमवार, 14 जनवरी 2019

जादुई websites जो आपका दिमाग घुमा दे Jadui website jo aapka dimag ghuma de

दोस्तों आप दुनिया के  कई सारे वेबसाइट देखे होंगे जो आपके काम होते है या नहीं भी होते लेकिन आप वहां पर जाकर अपना थोडा सा समय तो जरुर देते होंगे लेकिन क्या आपको किसी जादुई वेबसाइट के बारे में पता है जी हाँ दोस्तों जादुई वेबसाइट , दुनिया में कई सारे वेबसाइट है जिसका न तो माँ का ठिकाना है और ना तो बाप का लेकिन वेबसाइट ऐसी होती है जो आपके दिमाग को घुमा देगा तो दोस्तों आज मै आपको ऐसे मजेदार वेबसाइट के बारे में बता रहा हूँ जिसमे आप जाकर अपना माउस जहाँ भी रोकेंगे वहा पर एक इमेज खुल जायेगा और उसे इमेज में कोई भी इन्शान हो वो आपके माउस को ऊँगली दिखायेगा तो है न ये मज़ेदार वेबसाइट आप जरुर देखे  इस वेबसाइट को किस तरह बनाया गया है मुझे नहीं पता लेकिन यह वेबसाइट बहुत ही आश्चर्यजनक है इस वेबसाइट का नाम है pointer pointer इस वेबसाइट में जाने के लिए यहाँ पर क्लिक करो 

मंगलवार, 22 मई 2018

चेहरे के पिम्पल ,कालापन,झुर्रियां ऑयली त्वचा व सभी प्रकार के समस्याओ का एक ही समाधान

नमस्कार दोस्तों आज मैं आप लोगों को एक ऐसी आयुर्वेदिक फार्मूला के बारे में बताने जा रहा हूं जिसको आपने पहले शायद ही सुना होगा, कुछ लोगो के चेहरे बचपन से काले या सावले होते है तो कुछ लोगो के चेरे पर धुप व प्रदुषण के कारण चेहरे पर कई सारे समस्या उत्पन्न हो जाती है जैसे की चेहरे में झुर्रियां आँखों में काले घेरे चेहरे का संवलापन चेहरे के दाग आदि , दोस्तों आजकल लोगो के चेहरे में कई साडी समस्याए उत्पन्न हो रही है , इसके इलाज के लिए टीवी अखबारों में कई क्रीम व दवाइयों के आकर्षक विज्ञापन चलाये जाते है लोग इससे आकर्षित होकर उसे इस्तेमाल करना शुरू कर देते है कुछ दिन इस्तमाल करने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता तो कोई और आकर्षक विज्ञापन की ओर आकर्षित हो जाते है और तरह तरह के क्रीम इस्तेमाल करके छोटे से समस्या बड़ा को रूप दे बैठते है क्योंकि इसमें हमारे चेहरे को नुकसान करने वाले कई घटक रसायन का मिश्रण होता है  लेकिन दोस्तों मै  ऐसा नहीं कह रहा हूँ की यह क्रीम फायदा नहीं देती फायदा तो देती है पर हर किसी को नहीं क्योंकि हर किसी की त्वचा अलग अलग होती है जिसके कारण हर 100 लोगो में से मुश्किल से 2 से 3 लोगो को ही पूर्ण फायदा मिलता है बाकि लोगो की तो चार दिन की चांदनी बाद में अँधेरी रात जैसी कहानी रहती है    इसलिए लोगो को ज्यादातर आयुर्वेदिक प्राकृतिक तरीको को ही अपनाना चाहिए, चेहरे के पिम्पल दाग धब्बे को हटाकर चेहरे को नया आकर्षण देने के लिए आयुर्वेद में सदियों से एक ऐसे औषधि का इस्तेमाल किया जाता रहा है जिसके बारे में हर किसी को नहीं पता जिसे कुम्कुमादी तेल के नाम से जाना जाता है , कुम्कुमादी तेल में केसर ,चन्दन,मुलेठी,बेल जैसे 20 से भी अधिक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से मिलकर बनाया गया है ,   दोस्तों यह एक फेस मसाज आयल है जो की Antibacterial , Antioxidant, Ati hyperpigmentation से भरपूर है और यह हमारे त्वचा को लम्बे समय तब खुबसूरत व् नर्म बनाये रखने में मदद करता है  दोस्तों यह तेल किसी आयुर्वेदिक दुकान या कंसारी की दुकान पर मिल जायेगा , अगर नहीं मिल पाए तो आप ऑनलाइन भी आर्डर कर सकते है   तो दोस्तों आप सोंच  रहे होंगे की तेल तो बालो   के लिए होता है पर यहाँ पर  चेहरे में  लगाने के लिए बोल रहे है , दोस्तों आप बिलकुल सही पढ़ रहे है , यह तेल चेहरे में लगाने के लिए ही है लेकिन इसको हर अलग  अलग समस्याओ के लिए अलग अलग तरीके से इस्तेमाल करना होगा |

आँखों के काले घेरे  कुम्कुमादी तेल में केसर की मात्रा अधिक होता है जो आँखों के काले घेरे को तेजी से ठीक करने में मदद करता है इसका इस्तेमाल रात को सोने से पहले करे , रोजाना रात को चेहरे को पानी से अच्छी  तरह से धोने के बाद कुम्कुमादी तेल की 4 - 5 बूंद ऊँगली से हलकी मसाज करे आप इसे 5-10 मिनट तक कर सकते है जिससे आपको 3 दिनों में ही फर्क नजर आ जायेगा |

चेहरे का कालापन - रात को सोने से पहले कुम्कुमादी तेल की 8 से 10 बूंद अलोवेरा या नारियल तेल के साथ मिलाकर 10 से 15 मिनट तक मसाज करे और रात भर चेहरे पर लगा रहने दे और सुबह साफ़ पानी से अची तरह धो ले 5 से 6 दिन इस्तेमाल के बाद आपके चेहरे पर प्राकृतिक गोरापन नजर आने लगेगा

चेहरे में झाइयां  - चेहरे की झाइयाँ हमारे चेहरे से जुडी जिद्दी समस्याओ में से एक है जो की एक बार होने के बाद पुरे चेहरे में फ़ैल जाती है और खत्म होने का नाम ही नहीं लेती इस समस्या के समाधान के लिए आप कुम्कुमादी तेल की 4 - 5 बूंद ऊँगली से हलकी मसाज करे और रात भर लगा रहने दे , जिससे यह कुछ दिनों में आपको ठिक होते नज़र आ जायेंगे |

चेहरे के पिम्पल - कुम्कुमादी तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते है जो की हमरे चेहरे में होने वाले दाग धब्बो और पिम्पल के लिए काफी फायदेमंद है पिम्पल के लिए आप कुम्कुमादी तेल को टी ट्री आयल के सात 4 -5 बूंद नारियल तेल को मिलकर 10 से 15 मिनट तक मसाज करे और रात भर लगा रहने दे सुबह आप चेहरे को अची तरह से धो ले कुछ दिनों के इस्तेमाल के बाद आपके चेहरे से पिम्पल व उनके दाग दूर हो जायेंगे व् आपकी त्वचा पर प्राकृतिक निखार  दिखने लगेगा |

धुप से हुए कालेपन - अक्सर कई लोगो का शरीर धुप में काम  करने के कारण काला पद जाता है , कुम्कुमादी तेल से आप इस समस्या से भी निजात पा  सकते है   कुम्कुमादी तेल की 10 - 15 बुँदे  नारियल तेल में  मिलाकर  10 से 15 मिनट तक आप अपने गर्दन,हाथ, चेहरे व् जहाँ भी धुप के कारण कालापन हुआ हो वहा मसाज करे सुबह साफ़ पानी से धो ले ,,..

याद रहे आप जब कभी भी इस तेल का इस्तेमाल करे तो रात में ही करे क्योंकि यह तेल रात में ही अच्छे  से तेज गति के साथ काम करता है जिससे की आपको आपकी सभी समस्याओ में जल्द ही आराम मिलने लगेगा



रविवार, 20 मार्च 2016

शाम होते ही पल पल बदलता है मंदिर का रंग (Every moment of the evening changes color temple)


वृंदावन में श्रीकृष्ण का प्रेम मंदिर बना हुआ है।
मथुरा/आगरा. वृंदावन में श्रीकृष्ण का प्रेम मंदिर बना हुआ है। यहां की दीवारों पर हर तरफ राधा-कृष्ण की रासलीला दिखती है। साथ ही श्रीकृष्ण और राधारानी की भव्य मूर्तियां है। इसे कृपालुजी महाराज ने बनवाया था। यह मंदिर सफेद इटालियन संगमरमर से बनाया गया है। स्पेशल लाइटिंग से शाम होते ही मंदिर का रंग हर 30 सेकेंड में बदलता रहता है।

54 एकड़ में फैला है मंदिर
मंदिर की देखभाल में लगे नंदगोपाल बताते हैं कि 54 एकड़ में बना यह मंदिर 125 फुट ऊंचा, 122 फुट लंबा और 115 फुट चौड़ा है। यहां खूबसूरत बगीचे लगाए गए हैं। फव्वारे, श्रीकृष्ण और राधा की मनोहर झांकियां, श्रीगोवर्धन धारणलीला, कालिया नाग दमनलीला, झूलन लीलाएं बेहतर तरीके से दिखाई गई हैं।
94 कलामंडित स्तंभ
नंदगोपाल के मुताबिक, पूरे मंदिर में 94 कलामंडित स्तंभ हैं। गर्भगृह के अंदर और बाहर प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प का नमूना दिखाते हुए नक्काशी की गई है। यहां संगमरमर की चिकनी स्लेटों पर 'राधा गोविंद गीत' के सरल दोहे लिखे गए हैं। इन्हें भक्त आसानी से पढ़ और समझ सकते हैं।
जगतगुरु कृपालुजी महाराज ने की थी इसे बनाने की घोषणा
इस मंदिर को बनाने की घोषणा जगतगुरु कृपालुजी महाराज ने साल 2001 में की थी। इसके 11 साल बाद करीब 1000 मजदूरों ने 2012 में इसे तैयार कर दिया था।
स्पेशल लाइटिंग से शाम होते ही मंदिर का रंग पल-पल बदलता रहता है।

शनिवार, 19 मार्च 2016

जब हो रहा हो नुकशान jab ho raha ho nukshan



1. घटते लाभ का नियम कहता है कि किसी काम पर एक घंटा खर्च करना लाभदायक होगा, लेकिन उसी काम पर पांच घंटे लगाना वक्त की बर्बादी है। जैसे कोई अपना बिज़नेस प्रमोट करने के लिए सोशल मीडिया पर सिर्फ एक घंटा दे, क्योंकि सोशल नेटवर्किंग में घंटों खर्च होने पर भी पता ही नहीं चलता। 2. पूर्णतावादी होने से बचें। मतलब यह नहीं कि घटिया काम स्वीकार्य है, लेकिन किसी काम पर लंबे समय तक काम करना जबकि गुणवत्ता में सुधार होना कब का थम गया है, लाभदायक नहीं है। तब आप दूसरे काम नहीं कर पाते। बड़ा काम हम लक्ष्य के लिए करते हैं, जबकि परफेक्शन हम अपने लिए लाते हैं। 3. काम की जगह अस्तव्यस्त होगी तो मन भी अस्तव्यस्त रहेगा। काम के दौरान नहीं चाहेंगे कि शारीरिक-मानसिक ऊर्जा अस्तव्यस्तता पर खर्च हो। हाथ से कागजों को उलट- पलट कर दस्तावेज खोजेंगे तो उत्पादकता कहां रहेगी। चीजें व्यवस्थित करने में कुछ वक्त लगाएं।

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

असमान में उड़ने वाला सांप ( snakes myth reality and facts.)

दुनिया में सभी जीवों में गौ माता  के बाद सर्प  ही एक ऐसा जीव है जिसका हमारे  हिन्दू धर्म से गहरा नाता है। ये भगवान शंकर  के प्रिय है और हम भी इन्हें भगवान के सामान  मानकर  इनकी पूजा करते है। इसके अलावा सर्पो  से जुड़े कई ऐसे रहस्यमयी मिथक भी है जो की हमें रोमांचित करते है जैसे की क्या मणिधारी सांप होते है ? या फिर क्या इच्छाधारी नाग होते है ? ऐसी ही सांपो से जुडी एक और बात है जो सदियों से हमारे कौतुहल का विषय रही है, वो ये की क्या उड़ने वाले सांप होते है और यदि होते है तो वो बिना पंखो के उड़ते कैसे है?

चीन समय से ही ऐसे सांपो को देखे जाने के बारे में कहा जाता रहा है लेकिन इनका कोई प्रमाण नहीं था। लेकिन जब वैज्ञानिक घने वर्षा वनों में पहुंचे तो उन्होंने पाया की उड़ने वाले साप महज़ कल्पना नहीं है बल्कि इस धरती पर उनका अस्तित्व है।  वैज्ञानिको ने प्रमाण के तौर पर उनकी फोटो खींची और वीडियो भी बनाए। वैज्ञानिको ने पाया की ऐसे सांपो का अस्तित्व तो है पर पुरे विशव में यह केवल दक्षिण एशिया के वर्षा वनों में ही पाए जाते है।
Flying Snake
flying snakes
उड़ने में सक्षम यह सांप क्रिसोपेलिया जाती से सम्बंधित है हालांकि इस सांप की मात्र पांच प्रजातियों में ही उड़ने की क़ाबलियत होती है। यह सांप 3 से 4 फ़ीट लम्बे होते है और यह वर्षा ऊंचे ऊंचे पेड़ों पर रहते है। ये सांप एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाने के लिए उड़ान भरते है। इस तरह से यह अधिकतम 350 फ़ीट की दुरी तक जा पाते है। हालाँकि कुछ वैज्ञानिक उनकी इस क्रिया को उड़ना न मानकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाना मानते है। लेकिन अधिकाँश वैज्ञानिको का कहना है की इसे छलांग मानना गलत है क्योंकि 350 फ़ीट बहुत ज्यादा दुरी होती है। बन्दर जो की छलांग लगाने के सबसे अनुकूल होते है वो भी कुछ फ़ीट तक ही छलांग लगा पाते है।
बरहाल हमें इसे उड़ान माने या छलांग पर वैज्ञानिको को यह बात सबसे ज्यादा परेशान और हैरान कर रही थी की पंखों जैसी कोई संरचना नहीं होने के बावजूद सांप इस क्रिया को कैसे पूरा करते है। इस बात पर कई दशको से शोध चल रहे थे पर कोई सार्थक निष्कर्ष पर वैज्ञानिक नहीं पहुँच पाये थे।  पर इस साल के शुरुआत में इस पर हुई

इन 8 कारणों से डसता है साँप (in 8 karno se dasta hai sanp)

सांप से हमेशा ही सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इसके डंसने से मृत्यु भी हो सकती है। सांप किसी इंसान को बिना वजह नहीं डंसता है। सांप के जहर की एक बूंद से भी कई इंसानों की मृत्यु हो सकती है। ये जहर खून में मिलते ही बहुत तेजी से पूरे शरीर में फैलता है। सांप के जहर से बचने के लिए पीड़ित व्यक्ति को जल्दी से जल्दी डॉक्टर के पास पहुंचाना चाहिए।
Why snakes bite humans in Hindi
शास्त्रों में 8 ऐसे कारण बताए गए हैं, जिनकी वजह से सांप इंसान को डंस सकता है। यहां जानिए ये कारण कौन-कौन से हैं…
1. यदि जाने-अनजाने किसी इंसान के पैरों के नीचे कोई सांप आ जाए और सांप पैरों से दबने लगे तो सांप तुरंत ही डंस लेता है।
2. यदि कोई व्यक्ति किसी सांप को नुकसान पहुंचाता है, मारने की कोशिश करता है तो उससे बदला लेने के लिए और खुद की जान बचाने के लिए सांप डंस सकता है।
3. यदि कोई व्यक्ति सांप के बच्चे को नुकसान पहुंचाता है तो सांप अपनी संतान की रक्षा के लिए भी डंस सकता है।
4. जब कोई सांप उन्मादी यानी पागल हो जाए तो वह किसी भी इंसान को कभी भी डंस सकता है।
5. एक मान्यता है भी कि किसी इंसान से दुश्मनी हो या नाग या नागिन को मार डाला हो तो जीवित नाग या नागिन बदला लेने के लिए डंस सकता है।
6. यदि कोई सांप भूखा हो तो वह किसी भी जीव को डंस सकता है।
7. शास्त्रों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु सर्पदंश यानी सांप के डंसने से ही होना है तो उसे भी सांप डंस सकता है।
8. सांप डरपोक जीव होता है। इसी डर के कारण कई बार सांप इंसान को डंस लेता है।
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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

रखे पेड़ो से जुडी 7 बातो का ध्यान ( Vastu shastra tips for plants and trees in Hindi)

Vastu shastra tips for plants and trees in Hindi : वास्तु शास्त्र के अनुसार, जिस प्रकार घर का हर हिस्सा हमारे जीवन को प्रभावित करता है, उसी तरह घर में सजावट के लिए रखे गए पौधे भी हमारे जीवन पर पॉजिटिव और नेगेटिव प्रभाव डालते हैं। जाने-अनजाने में हम कई बार ऐसे पौधे अपने घर में रख लेते हैं, जिनके कारण वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है।जिसका सीधा-सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है। आज हम आपको बता रहे हैं घर में किस प्रकार के पौधे रखना चाहिए और कैसे नहीं।
Vastu shastra tips for plants and trees in Hindi
Vastu shastra tips for plants and trees in Hindi
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आखिर पांडवो ने क्यों खाए अपने पिता के मांस ( Why Pandavas eat dead body (Flesh) of Pandu)

Why Pandavas eat dead body (Flesh) of Pandu : आज हम आपको महाभारत से जुडी एक घटना बताते है जिसमे पांचो पांडवों ने अपने मृत पिता पाण्डु का मांस खाया था उन्होंने ऐसा क्यों किया यह जानने के लिए पहले हमे पांडवो के जनम के बारे में जानना पड़ेगा। पाण्डु के पांच पुत्र युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे।  इनमे से युधिष्ठर, भीम और अर्जुन की माता कुंती तथा नकुल और सहदेव की माता माद्री थी। पाण्डु इन पाँचों पुत्रों के पिता तो थे पर इनका जनम पाण्डु के वीर्य तथा सम्भोग से नहीं हुआ था क्योंकि पाण्डु को श्राप था की जैसे ही वो सम्भोग करेगा उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसलिए पाण्डु के आग्रह पर यह पुत्र कुंती और माद्री ने भगवान का आहवान करके प्राप्त किये थे।
Why Pandavas eat dead body (Flesh) of Pandu
जब पाण्डु की मृत्यु हुई तो उसके मृत शरीर का मांस पाँचों भाइयों ने मिल बाट कर खाया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योकिं स्वयं पाण्डु की ऐसी इच्छा थी। चुकी उसके पुत्र उसके वीर्ये से पैदा नहीं हुए थे इसलिए पाण्डु का ज्ञान, कौशल उसके बच्चों में नहीं आ पाया था।  इसलिए उसने अपनी मृत्यु पूर्व ऐसा वरदान माँगा था की उसके बच्चे उसकी मृत्यु के पश्चात उसके शरीर का मांस मिल बाँट कर खाले ताकि उसका ज्ञान बच्चों में स्थानांतरित हो जाए।
पांडवो द्वारा पिता का मांस खाने के सम्बन्ध में दो मान्यता प्रचलित है।  प्रथम मान्यता के अनुसार मांस तो पांचो भाइयों ने खाया था पर सबसे ज्यादा हिस्सा सहदेव ने खाया था।  जबकि एक अन्य मान्यता के अनुसार सिर्फ सहदेव ने पिता की इच्छा का पालन करते हुए उनके मस्तिष्क के तीन हिस्से खाये। पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने पे वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही भविष्य का। यहीं कारण था की सहदेव पांचो भाइयों में सबसे अधिक ज्ञानी था और इससे उसे भविष्य में होने वाली घटनाओ को देखने की शक्ति मिल गई थी।
शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण के अलावा वो एक मात्र शख्स सहदेव ही था जिसे भविष्य में होने वाले महाभारत के युद्ध के बारे में सम्पूर्ण बाते पता थी। श्री कृष्ण को डर था की कहीं सहदेव यह सब बाते औरों को न बता दे इसलिए श्री कृष्ण ने सहदेव को श्राप  दिया था की की यदि उसने ऐसा किया तो  मृत्यु हो जायेगी।
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बुधवार, 2 दिसंबर 2015

हेल्थ से जुड़े खास बात Health Se jude khas baat

हेल्थ से जुड़े खास बात Health Se jude khas baat




Aurvedic ग्रन्थों के अनुसार  वात 80 प्रकार का होता है और इसी से सामंजस्य रखता हुआ एक और बीमारी है जिसे बाय या वायु कहते हैं। यह 84 प्रकार का होता है। 
यहाँ प्रश्न  यह उठता है कि जब वात और वायु के इतने प्रकार हैं, तो, यह कैसे पता लगाया जाये  कि यह वात बीमारी है या बाय और यह किस प्रकार का है ? यह कठिन Problems है और यही वजह है कि इस disease की उपयुक्त चिकित्सा नहीं हो पाती है, जिसकी वजह से इस disease से पीड़ित 50 प्रतिशत व्यक्ति सदैव परेशान रहते हैं। उन्हें कुछ दिन के लिए इस disease में राहत तो जरूर मिलती है, but पूर्णतया सही नहीं हो पाता है। इस disease की चिकित्सा एलोपैथी के माध्यम से पूर्णतया सम्भव नहीं है, जबकि Ayurved के माध्यम से इसे आज कल 90 प्रतिशत तक जरूर सही हो सकता है, शेष 10 प्रतिशत माँ भगवती जगत जननी की कृपा से ही सम्भव है।
वात रोग लक्षण और समस्यां
       इस disease के वजह body के सभी छोटे-बडे़ जोडो़ं व मांसपेशियों में दर्द व सूजन हो जाया करती है। गठियामें body के एकाध जोड़ में प्रचण्ड पीड़ा के साथ लालिमायुक्त सूजन और बुखार तक बन जाता है। यह disease शराब व मांस प्रेमियों को साधारण मनुष्यों की अपेक्षा जल्दी पकड़ता है। यह धीरे-धीरे body के सभी जोड़ों तक पहुँचता है। संधिवात उम्र बढ़ने के साथ मुख्यतः घुटनों और पैरों के मुख्य जोड़ों को क्रमशः अपनी गिरफ्त में लेता हैं।
      वात रोग की प्रारम्भ धीरे-धीरे होती है। शुरू में morning उठने पर हाथ पैरों के जोडा़ें में कड़ापन महसूस होता है और अंगुलियाँ चलाने में problem होती है। फिर इनमें सूजन व दर्द होने लगता है और अंग-अंग दर्द से ऐंठने लगता है जिसकी वजह से शरीर में थकावट व कमजोरी feel होती है। साथ ही बीमार व्यक्ति चिड़चिड़ा बन जाता है। इस disease की कारण सेे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम पड़ जाती है। इसी के साथ छाती में इन्फेक्शन, खांसी, बुखार तथा अन्य समस्यायें उत्पन्न हो जाया करती है। साथ ही चलना फिरना रुक जाता है।
     इन सबसे खतरनाक कुलंग वात होता है। यह disease कुल्हे, जंघा प्रदेश और समस्त कमर को पकड़ता है और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इस disease में तीव्र चिलकन (फाटन) जैसा तीव्र दर्द होता है और बीमार व्यक्ति बेचैन हो जाता है, यहाँ तक कि इसमें मृत्यु तुल्य कष्ट होता है। यह disease की सबसे खतरनाक स्टेज होती हैै। इस का बीमार व्यक्ति day and night दर्द से तड़पता रहता है और कुछ Time पश्चात् चलने-फिरने के काबिल भी नहीं रह जाता है। वह पूर्णतया बिस्तर पकड़ लेता है और चिड़चिड़ा बन जाता है।
रोग से छुटकारा
       इस disease से छुटकारा पाने के लिए कुछ असान Ayurvedic नुस्खे और तेल का विवरण नीचे दे रहे हैं, जो पूर्ण परीक्षित योग हैं। ये नुस्खे 90 प्रतिशत रोगियों को लाभ करते हैं। शेष 10 प्रतिशत अपने पिछले कर्मों की कारण से दुख पाते हैं, जिसमें औषधि कार्य नहीं करती। उसमें मात्र माता आदिशक्ति जगत् जननी भगवती दुर्गा जी और पूज्य गुरुदेव जी की कृपा ही बीमारी को दूर कर पाती है। यद्यपि ये नुस्खे परीक्षित हैं, but अपने चिकित्सक की देख रेख में लिजिएंगे तो अधिक अच्छा होगा। औषधि खाने की मात्रा रोग के According कम या अधिक दी जा सकती है।
   एक बात ध्यान रखें कि जो जड़ी-बूटी औषधि रूप में आप सेवन करें, वह पूर्णत: सही और ताजी हो। उसमें कीड़े न लगे हों, अधिक पुरानी न हो और साफ सुथरी हो, उन्ही औषधिइयों के मिश्रण का सेवन करें, लाभ अवश्य होगा।
चन्दसूर 50 grams, मेथी 50 grams, करैल 50 grams, अचमोद  50 grams, इन चारों औषधियों को कूट-के साथ पीस लें और ढक्कन वाले डिब्बे में रख दें। morning breakfast के बाद 1 spoon चूर्ण (Powder) गुनगुने जल के साथ लिजिएं और रात को भोजन के बाद गुनगुने दूध के साथ 1 spoon लिजिएं। यह औषधि भी at least 60 दिन लिजिएं। निश्चय ही आराम मिलता है।