सच में होते है इच्छाधारी नाग नागिन ये है सच्चाई

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 कई लोग भले इन्हे अंधविश्वास मानते हो पर हमारे शास्त्रों में इचाधारी नाग नागिनो के  कहानियों के प्रमाण है।

शेषनाग को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है जो कि नाग वंश से है। उन्होंने त्रेता युग में श्रीराम के अनुज लक्ष्मण और द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप मानवअवतार लिया था। तो वहीं राजा वासुकि को नागों का राजा माना जाता है और पाताल में शेष नाग रहते हैं। वासुकि कद्रु एवं ऋषि कश्यप की संतान हैं। कई पौराणिक कथाओं में वासुकि एवं शेष नाग को एक समान ही माना गया है। दोनों का ही समान महत्व है।

 हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार शेष नाग एक विशाल नाग हैं, जिनकी आंखें गुलाबी कमल की भांति हैं, उनका वर्ण श्वेत कहा गया है एवं उनके वस्त्र नील रंग के बताए जाते हैं। किंतु वे एक नहीं, वरन् हजारों फणधारी नाग हैं। यह फणधारी नाग उस समय नाग और मानव दोनों ही रूप में रहते थे। जिन्हें आज हम इच्छाधारी नाग-नागिन कहते थे। इन्हें इच्छा धारी इसलिए कहा जाता है क्योंकि उस समय यह नाग अपनी इच्छा के अनुसार मानव और सर्प का रूप रख लेते थे।

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