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मौली माता मंदिर फिंगेश्वर जिनके चमत्कार के बारे में शायद ही आपको पता होगा ( the mauli mata tempale fingeshwar)

मौली माता 
गोड़वाना राज फिंगेश्वर नगर के पश्चिम दिशा में विराजित माँ मौली माता का विशाल मन्दिर प्रांगण है | मौली माता फिंगेश्वर राज में सभी वर्ग विशेष की आराध्य देवी है | माता के दर्शन हेतु भक्तगण  माता के दरबार से कभी खली हांथ वापस माहि होते शक्ति स्वरुप माँ मौली देवी क्षेत्र के जन मानस में रची बसी है | पौराणिक मान्यता व पुजारी सोभा राम भंडारी के अनुसार फिंगेश्वर राज का राजा ठाकुर दलगंजन सिंह यात्रा में जा रहे थे तभी अचानक हमलावरों ने आक्रमण कर दिया वाही मौली माता एक बुधिया के रूप में आयी वहा राजा  ठाकुर दलगंजन सिंह हमलावरों से घिर गए थे की अचानक माता जी का साक्षात्कार हुआ ,
माता मौली का मूर्ति रूप 
माता जी की कुछ इशारा पते ही रजा साहब उठ खड़े हुए और हमलावरों के साथ युद्ध किया और विजयी हुए | तब राजा साहब ने माता के पास जाकर प्रणाम कर वापिस महल की ओर आने लगे वहां वृधा का रूप लेकर कड़ी माता भी राजा साहब के पीछे पीछे आने लगी तब रजा साहब को अदृश्य शक्ति का अनुभव हुआ | राजा साहब के निवेदन पर माता जी सांग में बैठ कर फिंगेश्वर राज महल आयी | वह आदर सम्मान पूर्वक वृधा माता जी का पूजा पाठ की लेकिन कुछ गलतियों के कारण वह माता जी और राजा साहब अपने रहने की उचित स्थान बताई | वृधा रूप में मौली माता फिंगेश्वर राज महल के पश्चिम दिशा में तालाब खण्ड में स्थापित  है | तात्कालिन  राजा ठाकुर दलगंजन सिंह द्वारा माता की निवास हेतु महल बनाने की योजना बनाई गई  जिससे माता द्वारा अस्वीकार कर घास फुस की खदर वाली झोपडी में रहने की बाते कही
माता मौली का निवास स्थान जो घास फुस से बनी है (खदर की झोपड़ी )
तब से मौली माता खदर की झोपडी में ही विराजित है | पुजारी शोभा राम भंडारी ने बताया की मौली माता की झोपड़ी में खदर के घास के लिए राजा  साहब ने 150 एकड़   जमींन  रखे है जिसमे अब भी घास लाकर खदर बनाया जाता है पूर्व  में भैसों की बली दी जाती थी वहीँ हजारो की संख्या में धर्म प्रेमी बकरे  की बली दी जाती थी  अब बलि प्रथा बंद कर दी गई  राजा ठाकुर दलगंजन सिंह माता के अनन्य भक्त थे | ग्राम पुरेना में 100 एकड़ की जमीन माता की सेवा में अर्पण किये वाही 500 एकड़ जमीन मौली माता बालाजी पंच मन्दिर महादेव मन्दिर शीतला मंदिर हेतु रखा गया है राजा महेंद्र बहादुर सिंह द्वारा मौली माता पंच मंदिर हेतु ट्रस्ट का निर्माण किया गया है | वर्तमान में सभी मंदिरों की व्यवस्था रख रखाव व पुजारियों की वेतन भत्ता ट्रस्ट द्वारा ग्रहण किया जाता है |

फिंगेश्वर का राज शाही दशहरा 
   
फिंगेश्वर राज का राजशाही दशहरा बस्तर दशहरा की तरह होती है मौली माता की पूजा अर्चना के बाद राजा साहब द्वारा अस्त्र - शस्त्र व पंच मंदिरों की पूजा परिक्रमा के बाद राज शाही परिधान में राज महल के वंशज नगर भ्रमण क्षेत्र वाशियों को दर्शन देते है फिंगेश्वर दशहरा अंचल में विख्यात है जहाँ दूर दराज से आम जनता की भीड़ लगी रहती है | पुलिस प्रशासन की व्यवस्था के बीच राज शाही दशहरा मानते है |

पहुँच मार्ग  

रायपुर से राजिम व राजिम से 17 की. मी. की दुरी पर महासमुंद मार्ग में स्थित है जहाँ सड़क मार्ग से जाया जा सकता है |


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