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रविवार, 16 अक्तूबर 2022

इन रातों में हासिल की जाती है खतरनाक तंत्र-मंत्रों की सिद्धियाँ (TANTRA-MANTRA,SIDDHIYA)

 प्राचीन समय से साधु, संन्यासी ,ऋषि ,मुनि , सिद्धियाँ  प्राप्त करने   के लिए साधना किया करते थे। शास्त्रों में कहा गया है कि  अलग अलग साधना करने का एक खास समय होता है।





इस खास समय में साधना करने पर तंत्र मंत्र सिद्ध हो जाते हैं यानी व्यक्ति के वश में हो जाते हैं। तंत्र मंत्र जिनके वश में होते हैं वह जरूरत के अनुसार सिद्ध  किए मंत्रों के द्वारा  अपनी सभी  इच्छाओं को पूरा कर सकता है।

काली रातों में होती है ऐसी तंत्र साधनाएं







ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र-मंत्र की साधना के लिए कुछ नियम हैं। इस नियम के अनुसार कुछ तंत्र-मंत्र साधनाएं अमावस्या की रात को पूरी की जा सकती है। इनमें भैरव, श्मशान, काली, प्रेतात्माओं को जगाने की साधना शामिल हैं।

ग्रहण के समय की जाती है ऐसी तंत्र साधनाएं



ग्रहण के समय में अप्सरा ,योगिनी, भैरवी, अग्नि जीवा, कर्ण पिशाचिनी, छिन्नमस्ता, ललिता और कृत कामिनी योगिनी की साधना करने पर सफलता की संभावना प्रबल रहती है।

जबकि नवरात्र के समय तंत्र-मंत्र की देवी आदिशक्ति के पृथ्वी पर होने और प्रकृति की अनुकूलता के कारण किसी भी तांत्रिक साधना और दस महाविद्याओं की साधना करना शुभ फलदायी होता है।

शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

गायत्री मंत्र के सभी शब्दों का अर्थ (मतलब) क्या है ?(Gayatri Mantra)


 

गायत्री मंत्र के सभी शब्दों  का अर्थ (मतलब) क्या है ?

सभी ग्रंथों में लिखा है कि मंत्रों का मंत्र महामंत्र गायत्री मंत्र है यह प्रथम इसलिए है क्योंकि  विश्व की प्रथम पुस्तक ऋंगवेद  की शुरुआत ही गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) से होती है कहते हैं कि ब्रह्मा ने चार वेदों की रचना के पूर्व 24 अक्षरों के गायत्री मंत्र की रचना की थी, गायत्री मंत्र के हर शब्द का खास अर्थ है,

 आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के सभी अक्षरों का अर्थ (मतलब) 

ॐ  भूर्भुव स्व तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात् 

प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आवाहन हो जाता है 

गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों के 24 देवता है उनकी अर्थात  चौबीस शक्तियां है ,

24 शक्ति बीज है गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का  लाभ और सिद्धियां मिलती है 

ॐ शब्द 3 शब्दों से मिलकर बना है अ ,उ  और म इन तीनो शब्दों को एक साथ मिला कर बोलने पर जो ध्वनि निकलती है वो है ॐ | 

गायत्री मंत्र का अर्थ
उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें.


गायत्री मंत्र जाप कब करें
1. सूर्योदय से पूर्व
2. दोपहर में
3. सूर्यास्त से पूर्व

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गायत्री मंत्र जाप के फायदे
1. गायत्री मंत्र का नियमित जाप करने से मन शांत और एकाग्र रहता है .

2. इस मंत्र के जाप से दुख, कष्ट, दरिद्रता , पाप आदि दूर होते हैं.

3. संतान प्राप्ति के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है.

4. कार्यों में सफलता, करियर में उन्नति आदि के लिए भी गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.

5. विरोधियों या शत्रुओं में अपना वर्चस्व स्थापित करने के​ लिए घी एवं नारियल के बुरे का हवन करें. उस दौरान गायत्री मंत्र का जाप करते हैं.

6. जिन विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति कमजोर होती है, उनको गायत्री मंत्र का नियमित जाप एक माला करनी चाहिए.

7. पितृदोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु तथा शनि दोष की शांति के लिए शिव गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

कामदेव कौन थे ? Who is Kamdev s wife ?

 

कामदेव कौन है ? Who is Kamdev ?

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कामदेव सौंदर्य और कल्याण के देवता माने जाते हैं। कामदेव की पत्नी का नाम रति है। प्रेम और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना खासतौर से की जाती है। कामदेव वह देवता हैं, जिन्होंने भगवान शिव को भी समाधि से विचलित कर दिया था। कामदेव का एक नाम अनंग यानी बिना अंग वाला भी है।जब धर्म पर संकट आयी थी तब किसी भी देवता का दाल नहीं गला , तब मात्र अंतिम सहारा थे भगवान शिव जो तपश्या  में लीन रहते है, तो भगवान शिव को जगाने के लिए सभी देवता अपना अपना तरीका आजमा के देख लिए फिर भी भगवान शिव जी नहीं जागे तब देवताओ ने मिलकर ये योजना बनाई की कामदेव ही है जो भगवान को जगा सकते है , तो देवता गण कामदेव को भेज दिए भगवान शिव को जगाने कामदेव अपने बाण शिव जी के ऊपर छोड़ते गए लेकिन भगवान शिव को कोई फर्क नहीं पड़ा अंततः भगवान शिव निद्रा से जागे तो बहोत क्रोध  में थे, क्रोध में होने के वजह से भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुला और कामदेव को भस्म कर दिया लेकिन कामदेव की मृत्यु नहीं हुई पर उनका शरीर जल गया देवताओ के कहने पर भगवान शिव को अपने आप पर पछतावा हुआ और उन्होंने उनको एक वरदान दिया की की एक निश्चित समय आने पर आपको नयी शरीर प्राप्त हो जाएगी  ,कामदेव को कोई देख नहीं सकता  इसी कारण कामदेव दिखते नहीं हैं, लेकिन महसूस सभी को होते हैं। 

भगवान शिव कामदेव को भस्म करते हुए 



सर्वप्रथम उत्पत्ति
वेदों के अनुसार कामदेव की उत्पत्ति सर्वप्रथम हुई, यह विश्वविजयी भी हैं-
कामो जज्ञे प्रथमो नैनं देवा आपु: पितरो न मत्र्या:।
ततस्त्वमसि ज्यायान् विश्वहा महांस्तस्मैते काम।
अथर्ववेद- 9/2/19

अर्थ- कामदेव सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ। जिसे देव, पितर और मनुष्य न पा सके। इसलिए काम सबसे बड़ा विश्वविजयी है।
विभिन्न धर्मग्रंथों में इसका उल्लेख है-
सौरभ पल्लव मदनु बिलोका। भयउ कोपु कंपेउ त्रैलोका॥
तब सिवं तीसर नयन उघारा। चितवत कामु भयउ जरि छारा॥
श्रीरामचरितमानस 1/87/3
अर्थ- कामदेव द्वारा छोड़े गए पुष्पबाण से समाधि भंग होने के बाद भगवान शिव ने आम के पत्तों में छिपे हुए कामदेव को देखा तो बड़ा क्रोध हुआ, जिससे तीनों लोक कांप उठे। तब शिवजी ने तीसरा नेत्र खोला, उनके देखते ही कामदेव जलकर भस्म हो गए।
ऐसा है कामदेव का स्वरूप
कामदेव सौंदर्य की मूर्ति हैं। उनका शरीर सुंदर है, वे गन्ने से बना धनुष धारण करते हैं। पांच पुष्पबाण ही उनके हथियार हैं। भगवान शिव पर भी कामदेव ने पुष्पबाण चलाया था। इन बाणों के नाम हैं- नीलकमल, मल्लिका, आम्रमौर, चम्पक और शिरीष कुसम। ये तोते के रथ पर मकर अर्थात मछली के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं।
ब्रह्मा के हृदय से जन्म
श्रीमद्भागवत के अनुसार, सृष्टि में कामदेव का जन्म सबसे पहले धर्म की पत्नी श्रद्धा से हुआ था। देवजगत में ये ब्रह्मा के संकल्प पुत्र माने जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि ये ब्रह्मा के हृदय से उत्पन्न हुए थे-
हृदि कामो भ्रुव: क्रोधो लोभश्चाधरदच्छदात।
श्रीमद्भागवत-3/12/26

छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में दूर दूर से आते है संतान प्राप्ति के लिए

अर्थ- ब्रह्मा के हृदय से काम, भौंहों से क्रोध और नीचे के होंठ से लोभ उत्पन्न हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र  थे कामदेव
द्वापर काल में कामदेव ने ही भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लिया था। भगवान शंकर के शाप से जब कामदेव भस्म हो गया तो उसकी पत्नी रति अति व्याकुल होकर पति वियोग में उन्मत्त सी हो गई। उसने अपने पति की पुनः प्रापत्ति के लिये देवी पार्वती और भगवान शंकर को तपस्या करके प्रसन्न किया। पार्वती जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तेरा पति यदुकुल में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा और तुझे वह शम्बासुर के यहाँ मिलेगा। इसीलिये रति शम्बासुर के घर मायावती के नाम से दासी का कार्य करने लगी।
ये हैं कामदेव के अन्य नाम
कामदेव के अनेक नाम हैं जैसे- कंदर्प, काम, मदन, प्रद्युम्न, रतिपति, मदन, मन्मथ, मीनकेतन, कमरध्वज, मधुदीप, दर्पका, अनंग
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सपने क्यों आते है sapne kyon aate hai


 सपने मन की एक विशेष अवस्था होते हैं, जिसमें वास्तविकता का आभास होता है. स्वप्न न तो जागृत अवस्था में आते हैं न तो निद्रा में बल्कि यह दोनों के बीच की की तुरीयावस्था में आते हैं. 

सपने वास्तव में निद्रावस्था में मस्तिष्क में होने वाली क्रियाओं का परिणाम है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें सपने नहीं दिखाई देते, लेकिन कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि उन्हें बहुत सपने दिखाई देते हैं।

वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार निद्रावस्था में हर व्यक्ति को रोजाना दो-तीन बार सपने आते हैं। सपने की घटनाएँ कुछ लोगों को याद रहती हैं, तो कुछ लोग सपने की घटनाओं को भूल जाते हैं। सपनों के विषय में लोगों के कई मत हैं।

वैसे तो स्वप्न शास्त्र के अनुसार हर सपना आने का एक मतलब होता है कभी-कभी हमें ऐसे सपने आते हैं जिसके बाद हम सो नहीं पाते और ऐसा लगता है मानो कि सपना नहीं वास्तव में कोई हकीकत है। तो वहीं कई लोगों के साथ ऐसा भी होता है कि उन्हें हर रात डरावने सपने आते हैं और समय हमेशा यही डर लगता है कि अगर वैसा ही सपना दोबारा आया तो।

सपने का मतलब ,जाने क्या कहते है आपके सपने, हर सपने आपको करता है कुछ इशारा

इसलिए मैं आपको आज बताउंगा  डरावने सपने आने के कारण और उपाय तो आइए जानते हैं सबसे पहले बात करते हैं सोने की दिशा की अच्छी और सुखद नींद पाने के लिए सिर्फ  बैड का वास्तु ही नहीं बल्कि सोने का तरीका भी सही होना जरूरी होता है। वास्तु के अनुसार अच्छी नींद के लिए सोते समय सिर दक्षिण की तरफ और पैर उत्तर की ओर होनी चाहिए। लेकिन यदि सोते समय आपने सर बेडरूम में मौजूद वॉशरूम की तरफ है तो यह भी बुरे सपने आने का एक कारण हो सकता है क्योंकि बाथरूम से सारी नेगेटिव एनर्जी आपके मस्तिष्क से होते हुए शरीर में प्रवेश कर जाती है जिससे बुरे सपने आते हैं।

बुरी नजर के सफल १० अचूक रामबाण टोटके

दूसरा कारण जो बुरे सपने आने के पीछे हो सकता है वह है बेड में पड़ा कबाड़ बहुत से लोग अपने बेड बॉक्स में फालतू के बेकार पड़ी चीजों को रख देते हैं जबकि बेकार या खराब चीजों को कभी भी घर में नहीं रखना चाहिए इन चीजों में घर में नेगेटिव एनर्जी आती है अगर आप उन चीजों को बैड में रख देते हैं तो इसका सीधा असर पड़ता है और आपको डरावने सपने आने लगते हैं। वहीं कई लोग अपने बैड के निचले हिस्से में जूते चप्पल आदि रख देते हैं जबकि ऐसा करना उनके लिए ठीक नहीं होता।

सपने का मतलब ,जाने क्या कहते है आपके सपने, हर सपने आपको करता है कुछ इशारा

रात में डरावनी सपने आने का एक कारण तनाव लेना भी हो सकता है  तनाव से   हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं सही तरीके से काम नहीं करती और दिमाग कल्पना करने लगता है। सामान्य बात यह है कि दिन भर में हम जो कुछ भी सोचते हैं रात के समय वही सब बातें दिमाग में चलती है और बुरे सपनों का रूप ले लेती है।

बुरी नजर के सफल १० अचूक रामबाण टोटके

डरावने सपने आने की बात करें तो इसका एक बड़ा कारण डरावनी या  क्राइम सीरियल देखना भी है आपने भी देखा होगा अधिकतर डरावनी और क्राइम सीरियल रात में ऑन एयर किए जाते हैं क्योंकि रात के समय ऐसी चीज दिमाग पर सबसे ज्यादा असर करती है जो लोग रात में सोने से पहले इस तरह के टीवी सीरियल वगैरह देखते हैं उन्हें ही डरावने सपने आते हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार रंग भी हमारे दिमाग और सोचने की क्षमता पर असर डालते हैं हम जितने अच्छे और ठंडे रंग देखते हैं दिमाग भी उतना ही शांत रहता है इसके विपरीत अगर ज्यादा डार्क रंगों का इस्तेमाल करते हैं तो दिमाग विचलित रहता है तो अगर आप डार्क  रंग की चादर ओढ़ थे हैं या डार्क  बेडशीट पर सोते हैं तो आपको रात में डरावने सपने आ सकते हैं इसलिए डार्क कलर का इस्तेमाल नहीं करें।

सोमवार, 5 अक्तूबर 2020

बुरी नजर के सफल १० अचूक रामबाण टोटके buri najar ke safal 10 achuk ramban totke

buri najar




 नमस्कार दोस्तों आज मैं आपके लिए लाया हूं नजर उतारने के १० अचूक रामबाण टोटके  दोस्तों आज के दौर में हर कोई एक दूसरे के पैर  खींचने में लगा हुआ है , चाहे  वो अपने हो या पराये , ये कहा नहीं जा सकता कब किसकी बुरी नजर लगी , बचे ही नहीं बड़ो को भी बुरी नजर लग जाती है , घर पर बुरी नजर लग जाती है , आपके कारोबार पर ,दुकान में गाहको का आना काम हो जाता है , कई बार नजर का दोष ऐसे होता है की  ग्राहक तो आते है दुकान  पर आके बिना कुछ लिए  खाली  हाँथ वापस चले जाते है लोग माने  या न माने  पर टोन टोटके बुरी नजर जैसी चीजे आज भी दुनियां में होती है , क्योंकि अगर हम भगवन को मानते है की वो इस दुनिया में आज भी विद्यमान है , तो आपको शैतान को भी मानना पड़ेगा की बुरी शक्तियां भी होती है , क्योंकि सत्य है तो असत्य भी है पुण्य है तो पाप भी है , दोस्तों किसी ने नजर लगाया हो तो ये  नहीं की वो टोने टोटके जनता हो नजर लगाने वाला कोई भी सकता है वो आपके अपने भी हो सकते है ,क्योंकि बुरी नजर घृणा से पैदा होती है ये शक्ति हर किसी में विध्यमान है  ज्यादातर लोगो को यह कहते हुए देखा गया है की कोई वृद्ध महिला है तो वो डायन है उसी ने नजर डाला है फलां को या किसी को,  

बुरी नज़र के लक्षण

यदि किसी घर को नज़र लग जाए तो उस घर में क्लेश पैदा हो जाता है। घर में चोरी-चकारी की घटना होती है और उस घर में अशांति का माहौल बना रहता है। घर के सदस्य किसी न किसी रोग से पीड़ित होने लगते हैं। उस घर में दरिद्रता आने लगती है

  • यदि काम-धंधे को नज़र लग जाए तो व्यापार ठप होने लगता है। बिज़नेस में उसे लाभ की बजाय हानि होती है
  • यदि किसी व्यक्ति को नज़र लग जाए तो वह रोगी अथवा किसी बुरी संगति में फंस जाता है जिससे समाज में उसकी प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है अथवा उसके बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं
  • यदि किसी शिशु को नज़र लग जाए तो वह बीमार पड़ जाता है अथवा वह बिना बात के ज़ोर-ज़ोर से रोता है

चलो अब जानते है न बुरी जर उतरने के बारे में  , नजर उतरने का टोटका निम्नलिखित है ,

सम्मोहन से जाने किसी भी  व्यक्ति के मन की बात

1 . सरसो के तेल से बुरी नजर  का उतारा 

दोस्तों  ये जो टोटका मै बताने जा रहा हूँ वो मेरा खुद का आजमाया हुआ है इस टोटके को आप किसी भी उम्र के व्यक्ति के ऊपर आजमा सकते हो , सर्वप्रथम सामग्री निम्नानुसार है 

१. रुई की बत्ती ६ इंच 
२. सरसो का तेल 
३. चिमटा 

विधि 

सर्वप्रथम रुई की  बत्ती को सरसो के तेल में भिगोये भिगोने के बाद नजर लगे व्यक्ति के सर से पांव तक 7 बार  उतारे , ये क्रिया करने के बाद बत्ती को चिमटा से पकड़कर जलाये , आप देखेंगे की अगर नजर लगी होगी तो बत्ती को जलाने के बाद उसमे से बहुत ही अजीब बदबू आएगी ,बत्ती जलने के समय अगर बत्ती में से तेल बहुत अधिक मात्रा में टपकने लगे तो समझिये बहुत ही भयंकर नजर  है 

2  . नीबू से बुरी नजर के इलाज 

नीबू से नजर उतरने की विधि तो आप जानते ही होंगे पर मै जो आपको बता रहा हूँ वो मेरे गुरूजी का बताया  है और इस टोटके को मै  कई बार आजमाया हूँ नीबू से नजर उतरने की मै  आपको 2  विधि बताऊंगा 

पहला विधि  

अगर किसी भी व्यक्ति को नजर लगी हो तो नीबू को उसके ऊपर से 7 या 11 बार सर से लेकर पैर तक उतरना है उसके बाद वो नीबू अपने घर के पूजा स्थान में रख दे भगवान की पूजा आरती कर अपने इस्ट देव से प्रार्थना करे उसके बाद उस नीबू को घर के बहार जाकर किसी भी दिवार  से मरे ध्यान रहे की आपको नीबू दिवार पर इतनी जोर से मारना है की नीबू के चीथड़े उड़ जाये , अगर नीबू नहीं टुटा तो आपका टोटका अधूरा जायेगा फिर आपको यही क्रिया दुबारा करना पड़ेगा , पर यह टोटका बहुत ही ज्यादा असरदार है  एक बार जरूर आजमाए 



दूसरा विधि 

इस विधि में भी आपको नीबू लेना है पर इसमें आपको 3 सामग्री लगेगी 
सामग्री निम्नानुसार है 
        1 . तीन  नीबू 
        2 . थोड़ा सा  सिंदूर 
        3 . एक चाकु 

विधि 
सर्वप्रथम आपको तीनो नीबू को चार फाक काटना है याद रहे पूरा नहीं काटना है याने की चार टुकड़े तो करेंगे पर पूरा अलग नहीं करना है फिर तीनो नीबू  में सिंदूर दाल दे उसके बाद नजर लगे व्यक्ति के सिर  से पांव तक 7 बार उतार  दे उसके बाद उस  नीबू को पेपर में लपेटकर घर के आस पास के किसी चौराहे  पर (जहां चार  रास्ता जुड़ता हो )  रख कर घर वापस आ जाये 

सावधानी 

ये टोटका करने तक किसी से  नहीं करना है , मतलब  जब आप नीबू को चौराहे पर छोड़ने जायेंगे तब आपसे कई सरे लोग बात करने  कोशिश   आपके मुँह से आवाज़ नहीं निकलना चाहिए दूसरी सावधानी की आपको नीबू चौराहे पर छोड़ने के बाद पीछे मुद कर नहीं देखा है 

3 . लौंग से बुरी नजर का टोटका 



इस टोटके में आपको ७ साबुत लौंग लेना है लौंग का फूल  होना चाहिए उसे लेकर नजर लगे व्यक्ति के सिर से पांव तक 7  बार उतारा  करके आग में जला दे बुरी नजर   मिलेगा 

4 . मिर्च और राई से बुरी नजर के टोटके 

इस टोटके में आपको सात साबुत सूखा लाल  मिर्च  लेना है और 1  चम्मच के बराबर राई (सरसो ) लेना है जिस किसी भी बच्चे  को बुरी नजर लगा हो उस बच्चे  के ऊपर से 7  बार उतार करके किसी धूपदानी में  जलाकर मिर्च और राई (सरसो ) को जलादे ये टोटका बहुत ही प्रचलित है और ये अधिक से अधिक बचो में फायदा होते देखा गया है 

5 .गेहू के आंटे  से नजर के टोटके 



अगर आपके घर आपके छोटे बच्चे आधी रात को अचानक रोने लगे तो समझना चाहिए की आपके बचे के ऊपर बहुत शक्तिशाली प्रयोग किया  है मतलब की आपके बच्चे के सिर  पर भुत , मसान जिन्न या चुड़ैल बैठा दिया गया हो  ऐसे में बच्चा दूध नहीं पिता  अजीब ढंग से रोने लगता है , कई बार तो ये देखा गया है की बच्चा दूध पीना छोड़ता ही नहीं यह बहुत ही गंभीर समस्या होती है इसके लिए लोग तान्त्रिक बाबा  वगैरह के चक्कर लगाना शुरू कर देते है चलो जान लेते है गेहू के अन्ते से नजर कैसे उतारा जाता है 


विधि

सर्वप्रथम आपको दो मुट्ठी गेहूं का आटा लेना होगा और एक चाकू या लोहे की किल  की जरूरत होगी दो मुट्ठी आटे को बच्चे के सिर से पांव तक सात बार उतारना है उसके बाद घर के आंगन या घर के बाहर जाकर दाएं हाथ का आधा आटा ऊपर की ओर फेकना  है फिर दोनों हाथ का आंटा  दाएं और बाएं की ओर फेंक देना और तुरंत कमरे में वापस आए , ध्यान रहे वापस आते वक़्त पीछे मुड़कर नहीं देखना है | कमरे में आने के लिए जितने द्वार है उन सभी द्वार पर चाकू या किल से तीन तीन रेखा खींचना है इस टोटके को अर्धरात्रि में करना है और सुबह तक जो भी हो जाये दरवाजा नहीं खोलना है 

6 .दूध से नजर का उतारा 

शनिवार या रविवार के दिन  नजर लगे व्यक्ति के सिर पर से 7 बार दूर के फेरे लगाए बाद में यह दूध काले कुत्ते को पीला दे 

7 .काली उड़द से बुरी नजर 

नजर लगे व्यक्ति या बालक को दरवाजे के बीच (देहरी ) में  बैठा दें थोड़ी सी काली उड़द नमक और मिट्टी बराबर बराबर मात्रा में लेकर सात फेरे लगाकर दक्षिण दिशा की फेक दें 

8 .झाड़ू या जुते  से बुरी नजर दूर करना 

अगर किसी व्यक्ति को  नजर लग जाती है और उस व्यक्ति को किसी पर शक है कि इसमें नजर लगाया है तो उस  व्यक्ति का नाम लेकर झाड़ू  या  जूता हाँथ  में लेकर 21 बार उतारे और फिर उसे जमीन पर जोर-जोर से 21 बार पटके 

9 . फिटकरी से बुरी नजर 

थोड़ी सी फिटकरी ले ले , नजर लगे व्यक्ति पर से 31 बार उतारे फिर उसे चौराहे पर ले जाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दें नजर दोष दूर हो जायेगा | 

10 . घर या दुकान पर बुरी नजर 


जैसे मनुष्य को किसी की बुरी नजर लग जाती है वैसे ही घर या दुकान को भी बुरी नजर लग जाती है 
ऐसे में आपके घर में अशांति का माहौल बना रहता है , घर में बेवजह झगड़ा होना पति पत्नी में अनबन ऐसे ही कई समस्याएं आती है इसको दुर  करने के बहुत से उपाय है पर मै आपको सरल उपाय दे रहा हूँ जो आप खुद ही अपने घर पर आसानी से कर सकते है 
१. घर या दुकान के मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल लगाए आपके घर या दुकान पर बुरी नजर नहीं लगेगी | 
और साथ ही आप देखेंगे की आपके व्यापर में वृद्धि भी शुरू हो जाएगी 
२. शनिवार के दिन 1 नीबू और सात मिर्च धागे में पिरो ले और अपने घर या दुकान के मुख मार्ग में बांध दे इससे आपके घर या दुकान में नजर नहीं लगेगी आप इसे सप्ताह के सप्ताह बदल सकते है 

दोस्तों इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ने के लिए धन्यवाद आपको यह पोस्ट कैसी लगी कमेंट में जरूर बताये और आपका कोई सुझाव हो वो भी बताये और इस पोस्ट को अपने प्रियजन तक पहुचाये जिससे हर किसी को लाभ प्राप्त हो 








सोमवार, 4 सितंबर 2017

ये अनोखी वस्तु अगर आपके पास है तो होंगी हर मुराद पूरी (ye anokhi vastu agar aapke pass hai to hongi har murad puri)


दुनिया में कई अजीबो गरीब चमत्कार देखने को मिलते है पर  आज मै  जो बताने जा रहा हूँ , एक ऐसी चमत्कारी वस्तु के बारे में  जिसको अपने समीप रखने मात्र से आपकी हर इच्छा पूरी होगी उस वस्तु का नाम है सियार सिंगी पर आप सोच रहे होंगे की सियार का तो सिंग  ही नहीं होता तो ये सियार सिंगी है क्या चीज , दरअसल हम आपको बतादे की सियार या गीदड़ का सिंग नहीं होता, लोगो के लिए ये बहुत बड़ा आश्चर्य है , की जिसे सियार सिंगी कहा जाता है उसे सियार का सिंग ही माना  जाता है | विशेषज्ञों के अनुसार सियार जब ऊपर मुह करके चिल्लाता है तो उसके सर से सिंग जैसे नुकीला भाग निकल आता है जो सिंग के जैसे सख्त होता है |
कई लोगो का मानना है की जब सियार बुढा हो जाता है तो उसके नाक के पास सिंग जैसा सख्त हिस्सा उभर आता है जो हजारो में से किसी एक सियार में पाया जाता है |

इसको हासिल कैसे करते है =  आप सोंच रहे होंगे की सियार सिंगी सियार को मारकर हासिल किया जाता है पर ऐसा नहीं है सियार जब रात के समय जब गले को ऊपर कर चिल्लाता है तभी उसका वो सिंग बहार आता है अन्यथा कोई भी समय नहीं दिखता , जब सियार ऊपर की ओर मुह करके चिल्लाता है तब शिकारी  लोग धनुष बाण से उसके शरीर से अलग कर देते है |

सियार सिंगी का प्रयोग तंत्र मंत्र के लिए किया जाता है |हमारे भारत में इसका प्रचालन कब शुरू हुआ ये कोई नहीं बता सकता , लेकिन जिसके पास सियार सिंगी है उसके पास धन की कमी नहीं रहती , प्रेमी प्रेमिकाओ में प्रेम बढ़ता है , पति पत्नी में प्रेम बढ़ता है , व्यापार में लाभ होता है , इनके नित्य प्रतिदिन दर्शन करने से दिन सुखमय होता है ,सियार सिंगी कहा से प्राप्त करे यह आप सोच रहे होंगे तो मै  आपको बता दूँ की सियार सिंगी तांत्रिको, व्  ऋषि मुनियों के पास आपको मिल सकता है  वे इसको मंत्रो से सिद्ध किये होते है |

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सियार सिंगी की एक और अनोखी बात यह है की यह सिन्दूर खाती है , जी हाँ इसे चांदी या स्टील के डिब्बे में सिन्दूर डालकर  रखा जाता है , सिन्दूर में रखने से ही आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी , इसको जितना सिन्दूर सिन्दूर में डालकर रखेंगे उतना ही इनका बाल बढ़ेगा जो होली या फिर दीपावली के दिन पूजा विधि से काटना होता है

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

सपने का मतलब ,जाने क्या कहते है आपके सपने, हर सपने आपको करता है कुछ इशारा (jane kya kahte hai Aapke sapne)sapne ka matlab

 यहाँ हम आपको 251 सपनो के स्वपन ज्योतिष के अनुसार संभावित फल बता रहे है।
सपने                                     फल
1- आंखों में काजल लगाना- शारीरिक कष्ट होना
2- स्वयं के कटे हाथ देखना- किसी निकट परिजन की मृत्यु
3- सूखा हुआ बगीचा देखना- कष्टों की प्राप्ति
4- मोटा बैल देखना- अनाज सस्ता होगा
5- पतला बैल देखना – अनाज महंगा होगा
6- भेडिय़ा देखना- दुश्मन से भय
7- राजनेता की मृत्यु देखना- देश में समस्या होना
8- पहाड़ हिलते हुए देखना- किसी बीमारी का प्रकोप होना
9- पूरी खाना- प्रसन्नता का समाचार मिलना
Swapna Phal Jyotish Hindi
10- तांबा देखना- गुप्त रहस्य पता लगना

11- पलंग पर सोना- गौरव की प्राप्ति
12- थूक देखना- परेशानी में पडऩा
13- हरा-भरा जंगल देखना- प्रसन्नता मिलेगी
14- स्वयं को उड़ते हुए देखना- किसी मुसीबत से छुटकारा
15- छोटा जूता पहनना- किसी स्त्री से झगड़ा
16- स्त्री से मैथुन करना- धन की प्राप्ति
17- किसी से लड़ाई करना- प्रसन्नता प्राप्त होना
18- लड़ाई में मारे जाना- राज प्राप्ति के योग
19- चंद्रमा को टूटते हुए देखना- कोई समस्या आना
20- चंद्रग्रहण देखना- रोग होना
21- चींटी देखना- किसी समस्या में पढऩा
22- चक्की देखना- शत्रुओं से हानि
23- दांत टूटते हुए देखना- समस्याओं में वृद्धि
24- खुला दरवाजा देखना- किसी व्यक्ति से मित्रता होगी
25- बंद दरवाजा देखना- धन की हानि होना
26- खाई देखना- धन और प्रसिद्धि की प्राप्ति
27- धुआं देखना- व्यापार में हानि
28- भूकंप देखना- संतान को कष्ट
29- सुराही देखना- बुरी संगति से हानि
30- चश्मा लगाना- ज्ञान बढऩा
31- दीपक जलाना- नए अवसरों की प्राप्ति
32- आसमान में बिजली देखना- कार्य-व्यवसाय में स्थिरता
33- मांस देखना- आकस्मिक धन लाभ
34- विदाई समारोह देखना- धन-संपदा में वृद्धि
35- टूटा हुआ छप्पर देखना- गड़े धन की प्राप्ति के योग
36- पूजा-पाठ करते देखना- समस्याओं का अंत
37- शिशु को चलते देखना- रुके हुए धन की प्राप्ति
38- फल की गुठली देखना- शीघ्र धन लाभ के योग
39- दस्ताने दिखाई देना- अचानक धन लाभ
40- शेरों का जोड़ा देखना- दांपत्य जीवन में अनुकूलता
41- मैना देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति
42- सफेद कबूतर देखना- शत्रु से मित्रता होना
43- बिल्लियों को लड़ते देखना- मित्र से झगड़ा
44- सफेद बिल्ली देखना- धन की हानि
45- मधुमक्खी देखना- मित्रों से प्रेम बढऩा
46- खच्चर दिखाई देना- धन संबंधी समस्या
47- रोता हुआ सियार देखना- दुर्घटना की आशंका
48- समाधि देखना- सौभाग्य की प्राप्ति
49- गोबर दिखाई देना- पशुओं के व्यापार में लाभ
50- चूड़ी दिखाई देना- सौभाग्य में वृद्धि
51- दियासलाई जलाना- धन की प्राप्ति
52- सीना या आंख खुजाना- धन लाभ
53- सूखा जंगल देखना- परेशानी होना
54- मुर्दा देखना- बीमारी दूर होना
55- आभूषण देखना- कोई कार्य पूर्ण होना
56- जामुन खाना- कोई समस्या दूर होना
57- जुआ खेलना- व्यापार में लाभ
58- धन उधार देना- अत्यधिक धन की प्राप्ति
59- चंद्रमा देखना- सम्मान मिलना
60- चील देखना- शत्रुओं से हानि
61- स्वयं को दिवालिया घोषित करना- व्यवसाय चौपट होना
62- चिडिय़ा को रोते देखता- धन-संपत्ति नष्ट होना
63- चावल देखना- किसी से शत्रुता समाप्त होना
64- चांदी देखना- धन लाभ होना
65- दलदल देखना- चिंताएं बढऩा
66- कैंची देखना- घर में कलह होना
67- सुपारी देखना- रोग से मुक्ति
68- लाठी देखना- यश बढऩा
69- खाली बैलगाड़ी देखना- नुकसान होना
70- खेत में पके गेहूं देखना- धन लाभ होना
71- फल-फूल खाना- धन लाभ होना
72- सोना मिलना- धन हानि होना
73- शरीर का कोई अंग कटा हुआ देखना- किसी परिजन की मृत्यु के योग
74- कौआ देखना- किसी की मृत्यु का समाचार मिलना
75- धुआं देखना- व्यापार में हानि
76- चश्मा लगाना- ज्ञान में बढ़ोत्तरी
77- भूकंप देखना- संतान को कष्ट
78- रोटी खाना- धन लाभ और राजयोग
79- पेड़ से गिरता हुआ देखना- किसी रोग से मृत्यु होना
80- श्मशान में शराब पीना- शीघ्र मृत्यु होना
81- रुई देखना- निरोग होने के योग
82- कुत्ता देखना- पुराने मित्र से मिलन
83- सफेद फूल देखना- किसी समस्या से छुटकारा
84- उल्लू देखना- धन हानि होना
85- सफेद सांप काटना- धन प्राप्ति
86- लाल फूल देखना- भाग्य चमकना
87- नदी का पानी पीना- सरकार से लाभ
88- धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना- यश में वृद्धि व पदोन्नति
89- कोयला देखना- व्यर्थ विवाद में फंसना
90- जमीन पर बिस्तर लगाना- दीर्घायु और सुख में वृद्धि
91- घर बनाना- प्रसिद्धि मिलना
92- घोड़ा देखना- संकट दूर होना
93- घास का मैदान देखना- धन लाभ के योग
94- दीवार में कील ठोकना- किसी बुजुर्ग व्यक्ति से लाभ
95- दीवार देखना- सम्मान बढऩा
96- बाजार देखना- दरिद्रता दूर होना
97- मृत व्यक्ति को पुकारना- विपत्ति एवं दु:ख मिलना
98- मृत व्यक्ति से बात करना- मनचाही इच्छा पूरी होना
99- मोती देखना- पुत्री प्राप्ति
100- लोमड़ी देखना- किसी घनिष्ट व्यक्ति से धोखा मिलना
101- अनार देखना- धन प्राप्ति के योग
102- गड़ा धन दिखाना- अचानक धन लाभ
103- सूखा अन्न खाना- परेशानी बढऩा
104- अर्थी देखना- बीमारी से छुटकारा
105- झरना देखना- दु:खों का अंत होना
106- बिजली गिरना- संकट में फंसना
107- चादर देखना- बदनामी के योग
108- जलता हुआ दीया देखना- आयु में वृद्धि
109- धूप देखना- पदोन्नति और धनलाभ
110- रत्न देखना- व्यय एवं दु:ख
111- चेक लिखकर देना- विरासत में धन मिलना
112- कुएं में पानी देखना- धन लाभ
113- आकाश देखना    – पुत्र प्राप्ति
114- अस्त्र-शस्त्र देखना- मुकद्में में हार
115- इंद्रधनुष देखना – उत्तम स्वास्थ्य
116- कब्रिस्तान देखना- समाज में प्रतिष्ठा
117- कमल का फूल देखना- रोग से छुटकारा
118- सुंदर स्त्री देखना- प्रेम में सफलता
119- चूड़ी देखना- सौभाग्य में वृद्धि
120- कुआं देखना- सम्मान बढऩा
121- गुरु दिखाई देना – सफलता मिलना
122- गोबर देखना- पशुओं के व्यापार में लाभ
123- देवी के दर्शन करना- रोग से मुक्ति
124- चाबुक दिखाई देना- झगड़ा होना
125- चुनरी दिखाई देना- सौभाग्य की प्राप्ति
126- छुरी दिखना- संकट से मुक्ति
127- बालक दिखाई देना- संतान की वृद्धि
128- बाढ़ देखना- व्यापार में हानि
129- जाल देखना- मुकद्में में हानि
130- जेब काटना- व्यापार में घाटा
131- चंदन देखना- शुभ समाचार मिलना
132- जटाधारी साधु देखना- अच्छे समय की शुरुआत
133- स्वयं की मां को देखना- सम्मान की प्राप्ति
134- फूलमाला दिखाई देना- निंदा होना
135- जुगनू देखना- बुरे समय की शुरुआत
136- टिड्डी दल देखना- व्यापार में हानि
137- डाकघर देखना    – व्यापार में उन्नति
138- डॉक्टर को देखना- स्वास्थ्य संबंधी समस्या
139- ढोल दिखाई देना- किसी दुर्घटना की आशंका
140- सांप दिखाई देना- धन लाभ
141- तपस्वी दिखाई देना- दान करना
142- तर्पण करते हुए देखना- परिवार में किसी बुुजुर्ग की मृत्यु
143- डाकिया देखना – दूर के रिश्तेदार से मिलना
144- तमाचा मारना- शत्रु पर विजय
145- उत्सव मनाते हुए देखना- शोक होना
146- दवात दिखाई देना- धन आगमन
147- नक्शा देखना- किसी योजना में सफलता
148- नमक देखना- स्वास्थ्य में लाभ
149- कोर्ट-कचहरी देखना- विवाद में पडऩा
150- पगडंडी देखना- समस्याओं का निराकरण
151- त्रिशूल देखना- शत्रुओं से मुक्ति
152- तारामंडल देखना- सौभाग्य की वृद्धि
153- ताश देखना- समस्या में वृद्धि
154- तीर दिखाई देना- लक्ष्य की ओर बढऩा
155- सूखी घास देखना- जीवन में समस्या
156- भगवान शिव को देखना- विपत्तियों का नाश
157- किसी रिश्तेदार को देखना- उत्तम समय की शुरुआत
158- दंपत्ति को देखना- दांपत्य जीवन में अनुकूलता
159- शत्रु देखना- उत्तम धनलाभ
160- दूध देखना- आर्थिक उन्नति
161- मंदिर देखना- धार्मिक कार्य में सहयोग करना
162- नदी देखना- सौभाग्य वृद्धि
163- नाच-गाना देखना- अशुभ समाचार मिलने के योग
164- नीलगाय देखना- भौतिक सुखों की प्राप्ति
165- नेवला देखना- शत्रुभय से मुक्ति
166- पगड़ी देखना- मान-सम्मान में वृद्धि
167- पूजा होते हुए देखना- किसी योजना का लाभ मिलना
168- फकीर को देखना- अत्यधिक शुभ फल
169- गाय का बछड़ा देखना- कोई अच्छी घटना होना
170- वसंत ऋतु देखना- सौभाग्य में वृद्धि
171- बिल्वपत्र देखना- धन-धान्य में वृद्धि
172- स्वयं की बहन देखना- परिजनों में प्रेम बढऩा
173- भाई को देखना- नए मित्र बनना
174- भीख मांगना- धन हानि होना
175- शहद देखना- जीवन में अनुकूलता
176- स्वयं की मृत्यु देखना- भयंकर रोग से मुक्ति
177- रुद्राक्ष देखना- शुभ समाचार मिलना
178- पैसा दिखाई देना- धन लाभ
179- स्वर्ग देखना- भौतिक सुखों में वृद्धि
180- पत्नी को देखना- दांपत्य में प्रेम बढऩा
181- स्वस्तिक दिखाई देना- धन लाभ होना
182- हथकड़ी दिखाई देना- भविष्य में भारी संकट
183- मां सरस्वती के दर्शन- बुद्धि में वृद्धि
184- कबूतर दिखाई देना- रोग से छुटकारा
185- कोयल देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति
186- अजगर दिखाई देना- व्यापार में हानि
187- कौआ दिखाई देना- बुरी सूचना मिलना
188- छिपकली दिखाई देना- घर में चोरी होना
189- चिडिय़ा दिखाई देना- नौकरी में पदोन्नति
190- तोता दिखाई देना- सौभाग्य में वृद्धि
191- भोजन की थाली देखना- धनहानि के योग
192- इलाइची देखना – मान-सम्मान की प्राप्ति
193- खाली थाली देखना- धन प्राप्ति के योग
194- गुड़ खाते हुए देखना- अच्छा समय आने के संकेत
195- शेर दिखाई देना- शत्रुओं पर विजय
196- हाथी दिखाई देना- ऐेश्वर्य की प्राप्ति
197- कन्या को घर में आते देखना- मां लक्ष्मी की कृपा मिलना
198- सफेद बिल्ली देखना- धन की हानि
199- दूध देती भैंस देखना- उत्तम अन्न लाभ के योग
200- चोंच वाला पक्षी देखना- व्यवसाय में लाभ
201- अंगूठी पहनना- सुंदर स्त्री प्राप्त करना
202- आकाश में उडऩा- लंबी यात्रा करना
203- आकाश से गिरना- संकट में फंसना
204- आम खाना- धन प्राप्त होना
205- अनार का रस पीना- प्रचुर धन प्राप्त होना
206- ऊँट को देखना- धन लाभ
207- ऊँट की सवारी- रोगग्रस्त होना
208- सूर्य देखना- खास व्यक्ति से मुलाकात
209- आकाश में बादल देखना- जल्दी तरक्की होना
210- घोड़े पर चढऩा- व्यापार में उन्नति होना
211- घोड़े से गिरना- व्यापार में हानि होना
212- आंधी-तूफान देखना- यात्रा में कष्ट होना
213- दर्पण में चेहरा देखना- किसी स्त्री से प्रेम बढऩा
214- ऊँचाई से गिरना- परेशानी आना
215- बगीचा देखना- खुश होना
216- बारिश होते देखना- घर में अनाज की कमी
217- सिर के कटे बाल देखना- कर्ज से छुटकारा
218- बर्फ देखना- मौसमी बीमारी होना
219- बांसुरी बजाना- परेशान होना
220- स्वयं को बीमार देखना- जीवन में कष्ट
221- बाल बिखरे हुए देखना- धन की हानि
222- सुअर देखना- शत्रुता और स्वास्थ्य संबंधी समस्या
223- बिस्तर देखना- धनलाभ और दीर्घायु होना
224- बुलबुल देखना- विद्वान व्यक्ति से मुलाकात
225- भैंस देखना- किसी मुसीबत में फंसना
226- बादाम खाना- धन की प्राप्ति
227- अंडे खाना- पुत्र प्राप्ति
228- स्वयं के सफेद बाल देखना- आयु बढ़ेगी
229- बिच्छू देखना- प्रतिष्ठा प्राप्त होगी
230- पहाड़ पर चढऩा- उन्नति मिलेगी
231- फूल देखना- प्रेमी से मिलन
232- शरीर पर गंदगी लगाना- धन प्राप्ति के योग
233- पिंजरा देखना- कैद होने के योग
234- पुल पर चलना- समाज हित में कार्य करना
235- प्यास लगना- लोभ बढऩा
236- पान खाना- सुंदर स्त्री की प्राप्ति
237- पानी में डूबना- अच्छा कार्य करना
238- तलवार देखना- शत्रु पर विजय
239- हरी सब्जी देखना- प्रसन्न होना
240- तेल पीना- किसी भयंकर रोग की आशंका
241- तिल खाना- दोष लगना
242- तोप देखना- शत्रु नष्ट होना
243- तीर चलाना- इच्छा पूर्ण होना
244- तीतर देखना- सम्मान में वृद्धि
245- स्वयं को हंसते हुए देखना- किसी से विवाद होना
246- स्वयं को रोते हुए देखना- प्रसन्नता प्राप्त होना
247- तरबूज खाते हुए देखना- किसी से दुश्मनी होगी
248- तालाब में नहाना- शत्रु से हानि
249- जहाज देखना- दूर की यात्रा होगी
250- झंडा देखना- धर्म में आस्था बढ़ेगी

251- धनवान व्यक्ति देखना- धन प्राप्ति के योग

जाने किससे कैसा होगा प्रेम राशि के अनुसार (jane kisse kaisa hoga prem rashi ke Anushar)

 सभी 12 राशियों का प्रकृति  अलग-अलग होता है और इन्ही राशियों के वजह से व्यक्ति का  स्वभाव और भविष्य बनता है। राशियों के स्वभाव के आधार पर ही हमारे रिश्ते, दोस्ती, प्रेम-प्रसंग भी निर्भर होते हैं। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपका प्रेम-प्रसंग किस स्त्री या पुरुष के साथ कैसा रहेगा तो अपने नाम अक्षर के अनुसार यहां जानिए…
Rashi anusar love in Hindi
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हस्तरेखा से अपना भाग्य जाने (hastrekha se Apna bhagya jane)

(Life line keep on changing throughout life)। चूंकि हस्त रेखा (Samudrik Shastra) विज्ञान कर्मो के आधार पर टिका है, इसलिए मनुष्य जैसे कर्म करता है वैसा ही परिवर्तन उसके हाथ की रेखाओ में हो जाता है (Palmistry stand by our work, palm line change with them)। हाथ का विश्लेषण करते समय सबसे पहले हम हाथ की बनावट को देखते हैं तत्पश्चात यह देखा जाता है कि हाथ मुलायम है या सख्त।आम तौर पर पुरुषो का दायाँ हाथ तथा स्त्रियों का बायाँ हाथ देखा जाता है।यदि कोइ पुरुष बायें हाथ से काम करता है तो उसका बायाँ हाथ देखा जाता है। हाथ में जितनी कम रेखाऎं होती हैं, भाग्य की दृष्टि से हाथ उतना ही सुन्दर माना जाता है (Lots of Palm line are not good for Fortune)। हाथ में मुख्यतः चार रेखाओ का उभार स्पष्ट रुप से रहता है( We can see four main line in palm) जीवन रेखा (Life Line) जीवन रेखा हृदय रेखा के ऊपरी भाग से शुरु होकर आमतौर पर मणिबन्ध पर जाकर समाप्त हो जाती है (Life line start from heart line and end on Manibandh line)। यह रेखा भाग्य रेखा के समानान्तर चलती है, परन्तु कुछ व्यक्तियो की हथेली में जीवन रेखा हृदय रेखा में से निकलकर भाग्य रेखा में किसी भी बिन्दु पर मिल जाती है।जीवन रेखा तभी उत्तम मानी जाती है यदि उसे कोइ अन्य रेखा न काट रही हो तथा वह लम्बी हो इसका अर्थ है कि व्यक्ति की आयु लम्बी होगी तथा अधिकतर जीवन सुखमय बीतेगा। रेखा छोटी तथा कटी होने पर आयु कम एंव जीवन संघर्षमय होगा(If there is breakage in life line or there is any cut it means your life is short and in struggle)। इन्हें भी पढ़ें Analysing Marriage From The Horoscope Matching for Marriage Through Panch Pakshi भाग्य रेखा:(Fate Line) हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाने वाली सीधी रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं (Straight Line start from middle of heart and end on Manibandh line called fate line) ।स्पष्ट रुप से दिखाई देने वाली रेखा उत्तम भाग्य का घौतक है।यदि भाग्य रेखा को कोइ अन्य रेखा न काटती हो तो भाग्य में किसी प्रकार की रुकावट नही आती।परन्तु यदि जिस बिन्दु पर रेखा भाग्य को काटती है तो उसी वर्ष व्यक्ति को भाग्य की हानि होती है।कुछ लोगो के हाथ में जीवन रेखा एंव भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है।इस स्थिति में वह व्यक्ति आसाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का भाग्यशाली होता है (If there is no fortune line on your palm it means you are not a middle class)। ऎसा व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन कभी नहीं जीता है। हृदय रेखा: (Heart Line) हथेली के मध्य में एक भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा को हृदय रेखा कहते हैं (Vertical line starts from middle of palm and end on heart line called heart line)। यदि हृदय रेखा एकदम सीधी या थोडा सा घुमाव लेकर जाती है तो वह व्यक्ति को निष्कपट बनाती है। यदि हृदय रेखा लहराती हुई चलती है तो वह व्यक्ति हृदय से पीडित रहता है।यदि रेखा टूटी हुई हो या उस पर कोइ निशान हो तो व्यक्ति को हृदयाघात हो सकता है(There is Chance of heart attack if heart line is break)। मस्तिष्क रेखा:(Brain Line) हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक उंगलियो के पर्वतो तथा हृदय रेखा के समानान्तर जाने वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं (Parallel line to heart line is called mind line)। यह आवश्यक नहीं कि मस्तिष्क रेखा एक छोर से दूसरे छोर तक (हथेली) जायें, यह बीच में ही किसी भी पर्वत (Planetary Mounts) की ओर मुड सकती है। यदि हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा आपस में न मिलें तो उत्तम रहता है (Brain line is good if mind line or heart line are not together)। स्पष्ट एंव बाधा रहित रेखा उत्तम मानी जाती है। कई बार मस्तिष्क रेखा एक छोर पर दो भागों में विभाजित हो जाती है। ऎसी रेखा वाला व्यक्ति स्थिर स्वभाव का नहीं होता है, सदा भ्रमित रहता है। लाल किताब में सामुद्रिक ज्ञान यानी पामिस्ट्रि (Palmistry) के आधार पर व्यक्ति की जन्मकुण्डली का निर्माण होता है, तथा जिन व्यक्तियो को अपनी जन्मतिथि तथा जन्म समय मालूम नही उनके लिए लाल किताब बहुत लाभकारी है। नोट: हस्तरेखा विज्ञान सीखने के लिए
सामुद्रिक ज्योतिष महासागर की तरह गहरा है। इसमें हाथ की रेखाओं, हाथ का आकार, नाखून, हथेली का रंग एवं पर्वतों को काफी महत्व दिया गया है। हमारी हथेली पर जितने भी ग्रह हैं उन सबके लिए अलग अलग स्थान निर्धारित किया गया है। ग्रहों के लिए निर्घारित स्थान को ही पर्वत कहा गया है। ये पर्वत हमारी हथेली पर चुम्बकीय केन्द्र हैं जो अपने ग्रहों से उर्जा प्राप्त कर मस्तिष्क और शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाते हैं। हम जानते हैं कि ग्रहों की कुल संख्या 9 है। इन नवग्रहों का हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव होता है। ग्रह हमारे जीवन को दिशा देते हैं और इन्हीं के प्रभाव से हमारे जीवन में उतार चढ़ाव, सुख दु:ख और यश अपयश प्राप्त होता है। हमारी हथेली पर भी ग्रहों की स्थिति होती है, हम अपनी अथवा किसी अन्य की हथेली देखकर भी विभिन्न ग्रहों के प्रभाव का अनुमान लगा सकते हैं। हम सबसे पहले हथेली में बृहस्पति ग्रह के स्थान यानी गुरू पर्वत की स्थिति और उससे प्राप्त प्रभाव पर दृष्टि डालते हैं। गुरू पर्वत (Mount of Jupiter): गुरू पर्वत का स्थान हथेली पर तर्जनी उंगली के ठीक नीचे होता है। जिनकी हथेली पर यह पर्वत अच्छी तरह उभरा होता है उनमें नेतृत्व एवं संगठन की अच्छी क्षमता पायी जाती है। जिनकी हथेली में ऐसी स्थिति होती है वे धार्मिक प्रवृति के होते हैं, ये लोगो की मदद करने हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार यह पर्वत उन्नत होने से व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और दूसरों के साथ जान बूझ कर अन्याय नहीं करता है। शारीरिक तौर पर उच्च गुरू पर्वत वाले व्यक्ति का शरीर मांसल होता है यानी वे मोट होते हैं। यह पर्वत जिनमें बहुत अधिक विकसित होता है वैसे व्यक्ति स्वार्थी व अहंकारी होते हैं। जिनके हाथों में यह पर्वत कम विकसित होता है वे शरीर से दुबले पतले होते हैं। अविकसित गुरू के होने से व्यक्ति में संगठन एवं नेतृत्व की क्षमता का अभाव पाया जाता है। इस स्थति में व्यक्ति मान सम्मान हासिल करने हेतु बहुत अधिक उत्सुक रहता है। ऐसे व्यक्ति धन से बढ़कर मान सम्मान और यश के लिए ललायित रहते हैं। गुरू पर्वत का स्थान जिस व्यक्ति की हथेली में सपाट होता है वे व्यक्ति असामाजिक लोगों से मित्रता रखते हैं, इनकी विचारधारा निम्न स्तर की होती है ये अपने बड़ों को सम्मान नहीं देते हैं। शनि पर्वत (Mount of Saturn): हथेली में शनि पर्वत का स्थान मध्यमा उंगली के ठीक नीचे माना जाता है। सामुद्रिक ज्योतिष कहता है जिस व्यक्ति के हाथ में यह पर्वत विकसित होता है वे बहुत ही भाग्यशाली होते हैं, इन्हें अपनी मेहनत का पूरा लाभ मिलता है। ये एक दिन अपनी मेहनत के बल पर श्रेष्ठ स्थिति को प्राप्त करते हैं। जिनकी हथेली पर भाग्य रेखा बिना कटे हुए इस पर्वत को छूती है वे जीवन में अपने भाग्य से दिन ब दिन कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं। उन्नत शनि पर्वत होने से व्यक्ति अपने कर्तव्य के प्रति सजग और जिम्मेवार होता है। विकसित शनि पर्वत होने से व्यक्ति में अकेले रहने की प्रवृति होती अर्थात वह लोगों से अधिक घुला मिला नहीं रहता है। इनमें अपने लक्ष्य के प्रति विशेष लगन होती है जिसके कारण आस पास के परिवेश से सामंजस्य नहीं कर पाते हैं। जिनकी हथेली में शनि पर्वत बहुत अधिक उन्नत होता है वे अपने आस पास से बिल्कुल कट कर रहना पसंद करते हैं और आत्म हत्या करने की भी कोशिश करते हैं। हस्तरेखीय ज्योतिष कहता है जिनकी हथेली में शनि पर्वत सपाट होता है वे जीवन को अधिक मूल्यवान नहीं समझते हैं। इस प्रकार की स्थिति जिनकी हथेली में होता है वे विशेष प्रकार की सफलता और सम्मान प्राप्त करते हैं। यह भी मान्यता है कि जिनकी हथेली में यह पर्वत असामान्य रूप से उभरा होता है वे अत्यंत भाग्यवादी होते हैं और अपने भाग्य के बल पर ही जीवन में तरक्की करते हैं। अगर इस पर्वत पर कई रेखाएं है तो यह कहा जाता है कि व्यक्ति में साहस की कमी रहती है और वह काम-वासना के प्रति आकृष्ट रहता है। सूर्य पर्वत(Mount of Apollo): सूर्य पर्वत अनामिका उंगली के जड़ में स्थित होता है इसे बुद्धिमानी, दयालुता, उदारता और सफलता का स्थान माना जाता है। जिनकी हथेली में यह पर्वत उभरा होता है उनका दिमाग तेज होता है वे लोगों की सहायता और मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं व जीवन में सफलता हासिल करते हैं।

  उभरा हुआ सूर्य पर्वत यश और प्रसिद्धि को भी दर्शाता है। उन्नत सूर्य पर्वत होने से आप लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करने वाले होते हैं, आप खुशमिज़ाज और आत्मविश्वासी होते हैं। यह पर्वत अविकसित होने पर आप सौन्दर्य के प्रति लगाव रखते हैं परंतु इस क्षेत्र में आपको सफलता नहीं मिलती है। अपोलो पर्वत अत्यंत उन्नत होने पर कहा जाता है कि आप खुशामद पसंद होते हैं और अपने आप पर जरूरत से अधिक गर्व महसूस करते है जिससे लोग आपको घमंडी समझते हैं। इस पर्वत का सपाट या धंसा होना शुभ संकेत नहीं माना जाता है इस स्थिति में आपकी सोच सीमित होती है जिससे आप मूर्खतापूर्ण कार्य कर जाते हैं। आपका जीवन स्तर भी सामान्य रहता है। हस्त रेखा विज्ञान में हथेली में प्रत्येक ग्रह के लिए एक निश्चित स्थान माना जाता है। हथेली में जो ग्रह जहां विराजमान होते हैं उस स्थान को उस ग्रह का पर्वत कहा जाता है। जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में ग्रह नीच या उच्च होते हैं कुछ इसी प्रकार यहां भी पर्वतों की विभिन्न स्थिति और उसके अनुरूप परिणाम बताए गये हैं। बुध पर्वत (Mount Of Mercury): सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा की जड़ में बुध ग्रह का स्थान होता है यानी यहां बुध पर्वत स्थित होता है। बुध पर्वत को भौतिक सुख, खुशहाली और धन सम्पत्ति का स्थान कहा जाता है। जिनकी हथेली में बुध पर्वत उच्च स्थिति में होता है वे अविष्कार व नई चीजो की तलाश के प्रति उत्सुक रहते हें। हथेली में बुध उभरा होने से व्यक्ति मनोविज्ञान समझने वाला होता है जिससे लोगों को आसानी से प्रभावित कर पाता है। बुध पर्वत उन्नत होने से व्यक्ति यात्रा का शौकीन होता है और काफी यात्राएं करता है। जिनकी हथेली में यह पर्वत बहुत अधिक उभरा होता है वे काफी चालाक, धूर्त और छल कपट में उस्ताद होता हैं। बुध पर्वत अगर असामान्य रूप से उभरा हुआ है साथ ही इस पर सम चतुर्भुज का चिन्ह दिख रहा है तो यह संकेत है कि व्यक्ति कानून का उलंघन करेगा और अपराध की दुनियां में नाम कमाएगा। अविकसित बुध पर्वत के होने से भी व्यक्ति जुर्म की दुनियां से रिश्ता कायम कर सकता है। जिनकी हथेली में यह पर्वत अस्पष्ट या सपाट है उन्हें ग़रीबी का मुंहदेख्ना पड़ता है। चन्द्र पर्वत (Mount of Moon): चन्द्र पर्वत का स्थान हथेली में अंगूठे के दूसरी ओर कलाई के नीचे होता है। इसे हस्तरेखीय ज्योतिष में कल्पना, कला, उदारता और उत्साह का स्थान माना जाता है। जिनकी हथेली में चन्द्र पर्वत विकसित होता है वे सौन्दर्योपासक होते हैं इनका हृदय कोमल और संवेदनशील होता है। ये नित नई कल्पना और ख्वाबो के ताने बाने बुनते रहते हैं। ये कला के किसी भी क्षेत्र जैसे लेखन, चित्रकारी, संगीत आदि में पारंगत होते हैं। चन्द्रपर्वत अत्यधिक उन्नत होने से मन की चंचलता अधिक रहती है, जिसके कारण व्यक्ति में उतावलापन अधिक देखा जाता है। चन्द्र पर्वत की यह स्थिति व्यक्ति को शंकालु और मानसिक तौर पर बीमार बना देती है। यह स्थिति जिनकी हथेली में पायी जाती है वे अक्सर सिर दर्द से परेशान रहते हैं। समुद्रिक शास्त्र के मुताबिक अविकसित चन्द्र पर्वत होने से व्यक्ति हवाई किले बनाने वाला होता है। जिनकी हथेली में चन्द्र की ऐसी स्थिति होती है उनमें बहुत अधिक भावुकता पायी जाती है और कल्पना लोक में खोये रहने के कारण इनका कोई भी काम पूरा नहीं हो पाता है। जिनकी हथेली में चन्द्र पर्वत सपाट होता है वे भावना रहित होते हैं, ये धन और भौतिक सुख के पीछे भागते हैं। इस तरह की हथेली जिनकी होती है वे जीवन में प्रेम को गौण समझते हें और लड़ाई झगड़े में आगे रहते हैं। शुक्र पर्वत (Mount of Venus): अंगूठे के नीचे जीवन रेखा से घिरा हुआ भाग शुक्र का स्थान होता है जिसे शुक्र पर्वत कहते हैं। यह पर्वत विकसीत होने पर सम्मान की प्राप्ति होती है और जीवन में आनन्द एवं खुशहाली बनी रहती है। सामुद्रिक ज्योतिष के अनुसार उन्नत शुक्र पर्वत होने से व्यक्ति कामी होता इनके मन में हमेशा काम की इच्छा रहती है। ये ईश्वर पर यकीन नहीं करते हैं। अविकसित शुक्र होने से व्यक्ति में कायरता रहती है और ये काम वासना से पीड़ित रहते हैं। आमतौर पर दूसरे पर्वत अगर जरूरत से अधिक विकसित हों तो नुकसान होता है परंतु शुक्र के बहुत अधिक विकसित होने पर नुकसान नहीं होता है। यह पर्वत अत्यधिक उन्नत होने से व्यक्ति साहसी होता है एवं स्वस्थ रहता है।
यह स्थिति जिनकी हथेली में पायी जाती है वह सभ्य होते हैं और अपने गुणों से दूसरों को प्रभावित करते हैं। शुक्र पर्वत हथेली में सपाट होने से व्यक्ति अकेला रहना पसंद करता है व पारिवारिक जीवन से लगाव नहीं रखता है। इस तरह की स्थिति जिस हथेली में होती है वे कठिनाईयों भरा जीवन जीते हैं और धन की कमी से परेशान रहते हैं। मंगल पर्वत (Mount of Mars): सामुद्रिक ज्योतिष के अनुसार हथेली में दो स्थान पर मंगल पर्वत होता है। एक उच्च का पर्वत होता है और दूसरा नीच का होता है। उच्च मंगल पर्वत हृदय रेखा जहां से शुरू होती उसके ऊपर स्थित होता है जबकि नीच का मंगल जहां से जीवन रेखा शुरू होती है वहां से कुछ ऊपर होता है। जिनकी हथेली में मंगल उभरा होता है वे साहसी, बेखौफ और शक्तिशाली होते हैं। मंगल पर्वत उन्नत होने पर व्यक्ति दृढ़ विचारों वाला होता है और इनके जीवन में संतुलन देखा जाता है। यही पर्वत जिनकी हथेली में बहुत अधिक उन्नत होता है वे मार पीट, लड़ाई-झगड़े में उस्ताद होते हैं।

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सम्मोहन से जाने अमुक व्यक्ति के मन की बात (Hypnotizm se jane dusro ki man ki baat)

सम्मोहन, वशीकरण जैसे शब्दों को सुनकर किसी जादु की अनुभूति करते हैं। सम्मोहन एक विद्या है। जिसे जागृत करना सामान्यत: आज के मानव के अति दुष्कर कार्य है। सम्मोहन विद्या का इतिहास आज या सौ-दो सौ साल पुराना नहीं बल्कि सम्मोहन प्राचीन काल से चला रहा है। श्रीराम और श्रीकृष्ण में सम्मोहन की विद्या जन्म से ही थी। वे जिसे देख लेते या कोई उन्हें देख लेता वह बस उनकी माया में खो जाता था। यहां हम बात करेंगे श्रीकृष्ण के सम्मोहन की। श्रीकृष्ण का एक नाम मोहन भी है। मोहन अर्थात सभी को मोहने वाला। श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व और सुंदरता सभी का मन मोह लिया करती है। जिन श्रीकृष्ण की प्रतिमाएं इतनी सुंदर है वे खुद कितने सुंदर होंगे। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में सम्मोहन की कई लीलाएं की हैं। उनकी मधुर मुस्कान और सुंदर रूप को देखकर गोकुल की गोपियां अपने आप को रोक नहीं पाती थी और उनके मोहवश सब कुछ भुलकर बस उनका संग पाने को लालायित हो जाती थी। श्रीकृष्ण ने माता यशोदा को भी अपने मुंह में पुरा ब्रह्मांड दिखाकर उस पल को उनकी याददाश्त से भुला दिया बस यही है सम्मोहन। श्रीकृष्ण जिसे जो दिखाना, समझाना और सुनाना चाहते हो वह इसी सम्मोहन के वश बस वैसा ही करता है जैसा श्रीकृष्ण चाहते हैं। ऐसी कई घटनाएं उनके जीवन से जुड़ी हैं जिनमें श्रीकृष्ण के सम्मोहन की झलक है।
सम्मोहन कोई जादू नहीं है .....

आसमान में उड़ने वाला सांप 
मन की बिखरी हुई शक्तियों को एकत्रित करके या एकाग्र करके उस बढ़ी हुई शक्ति से किसी को प्रभावित करना ही सम्मोहन विद्या है। सम्मोहन विद्या भारतवर्ष की प्राचीनतम और सर्वश्रेष्ठ विद्या है। इसकी जड़ें सुदूर गहराईयों तक स्थित हैं। भारत वासियों का जीवन अध्यात्म प्रधान रहा है और भारत वासियों ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दर्शन और अध्यात्म को सर्वाधिक महत्व दिया है। इसीलिए सम्मोहन विद्या को भी प्राचीन समय से 'प्राण विद्या' या 'त्रिकालविद्या' के नाम से पुकारा जाता है।


भारतीय दर्शन और भारतीय अध्यात्म, योग और उसकी शक्तियों से जुड़ा हुआ है। योग शब्द का अर्थ ही 'जुडऩा' है, यदि इस शब्द को आध्यात्मिक अर्थ में लेते हैं तो इसका मतलब आत्मा का परमात्मा से मिलन और दोनों का एकाकार हो जाना ही है। भक्त का भगवान से, मानव का ईश्वर से, व्यष्टि का समष्टि से, तथा पिण्ड का ब्रह्माण्ड से मिलन ही योग कहा गया है। हकीकत में देखा जाए तो यौगिक क्रियाओं का उद्देश्य मन को पूर्ण रूप से एकाग्र करके प्रभु यानि ईश्वर में समर्पित कर देना है। और इस समर्पण से जो शक्ति का अंश प्राप्त होता है, उसी को सम्मोहन शक्ति कहते हैं ।
आखिर पांडवो ने क्यों खाए अपने पिता का मांस 
अगर करना हो सम्मोहन तो..
मन की बिखरी हुई शक्तियों को एकत्रित करके या एकाग्र करके उस बढ़ी हुई शक्ति से किसी को प्रभावित करना ही सम्मोहन विद्या है। सम्मोहन विद्या भारतवर्ष की प्राचीनतम और सर्वश्रेष्ठ विद्या है। इसकी जड़ें सुदूर गहराईयों तक स्थित हैं। भारत वासियों का जीवन अध्यात्म प्रधान रहा है और भारत वासियों ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में दर्शन और अध्यात्म को सर्वाधिक महत्व दिया है। इसीलिए सम्मोहन विद्या को भी प्राचीन समय से 'प्राण विद्या' या 'त्रिकालविद्या' के नाम से पुकारा जाता है।भारतीय दर्शन और भारतीय अध्यात्म, योग और उसकी शक्तियों से जुड़ा हुआ है। योग शब्द का अर्थ ही 'जुडऩा' है, यदि इस शब्द को आध्यात्मिक अर्थ में लेते हैं तो इसका मतलब आत्मा का परमात्मा से मिलन और दोनों का एकाकार हो जाना ही है। भक्त का भगवान से, मानव का ईश्वर से, व्यष्टि का समष्टि से, तथा पिण्ड का ब्रह्माण्ड से मिलन ही योग कहा गया है। हकीकत में देखा जाए तो यौगिक क्रियाओं का उद्देश्य मन को पूर्ण रूप से एकाग्र करके प्रभु यानि ईश्वर में समर्पित कर देना है। और इस समर्पण से जो शक्ति का अंश प्राप्त होता है, उसी को सम्मोहन शक्ति कहते हैं।
अगर करना हो सम्मोहन तो..
रखे पेड़ से जुडी इन सात बातो का ध्यान 

सम्मोहन, वशीकरण, जादू-टोना ये ऐसे शब्द हैं जो हर व्यक्ति को बरबस ही अपनी ओर खींच लेते हैं। इन शब्दों का जादू ही ऐसा है कि कोई भी इनकी ओर आसानी से आकर्षित हो जाता है। लेकिन ये विद्याएं ऐसी हैं जिन्हें पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती। इसके लिए खुद को पूरी तरह तैयार करना होता है। आइए जानते हैं कि सम्मोहन सीखने के लिए हमें क्या तैयारी करनी होगी।

इन विद्याओं को पराविद्या भी कहते हैं, यानी ये हमें दूसरी दुनिया से जोड़ती हैं।

1. इसके लिए सबसे पहले हमें मानसिक रूप से खुद को तैयार करना होगा। सम्मोहन, वशीकरण, जादू जैसी विद्याएं बिना मानसिक रूप से तैयार हुए नहीं मिल सकती।

2. इसके लिए दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है खुद को एकाग्र रखना। अगर आपका मन बार-बार भटकता है तो फिर आप इन विद्याओं को नहीं पा सकते। इसके लिए आपको सबसे पहले ध्यान करने का अभ्यास शुरू करना होगा।
प्याज के टुकड़े मोंजे में रखने से होते है अदभुत फायदे 
3. सत्य, इन विद्याओं के लिए मन को साधना होगा और उसका सबसे पहला कदम है सत्य बोलना। आपको हर समय सत्य बोलना शुरू करना होगा और झूठ व बहानेबाजी की आदत छोड़नी होगी।

4. समय की पाबंदी, यह भी इन विद्याओं के लिए आवश्यक है।

5. पवित्रता, इन विद्याओं के लिए यह भी आवश्यक है कि आप मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से पवित्र रहें। अगर इन विद्याओं का कोई गलत इस्तेमाल करने के लिए आप सीख रहे हैं तो यह मिलना संभव नहीं है।

6. समय, ऐसी विद्याओं को अर्जित करने के लिए समय की आवश्यकता होती है, आप में इसके लिए सब्र होना चाहिए।

7. विश्वास, ऐसी विद्याएं भगवान और खुद में विश्वास रखने से ही मिलती हैं, अगर आपमें विश्वास की कमी हैं तो यह नहीं मिल सकतीं।


फिर हर चीज खींची चली आएगी आपकी ओर..!
आप अक्सर सोचते होंगे कि कोई चीज बस देखने भर से आपकी आरे खींची चली आए तो कैसा हो? लेकिन फिर इसे कपोल कल्पना मानकर भूल भी जाते होंगे। क्या आप ये जानते हैं कि यह संभव भी है। इस विद्या को सिद्ध किया जा सकता है और वह भी बहुत अच्छी तरह से। इसके बाद आप जिस चीज को देखेंगे, वह आप की ओर चली आएगी, चाहे इंसान हो या फिर कोई पत्थर। वास्तव में इसे सम्मोहन, वशीकरण और कई नामों से पुकारा जाता है। सम्मोहन, वशीकरण का ही एक रूप है त्राटक साधना। इसके जरिए हम अपनी आंखों और मस्तिष्क की शक्तियों को जागृत करके उन्हें इतना प्रभावशाली कर सकते हैं कि मात्र सोचने और देखने भर से ही कोई भी चीज हमारे पास आ जाएगी। त्राटक साधना करने के लिए आपको खुद को कुछ दिनों के लिए नियमों में बांधना होगा। त्राटक साधना यानी किसी भी वस्तु को एकटक देखना। यह साधना आप उगते सूर्य, मोमबत्ती, दीया, किसी यंत्र, दीवार या कागज पर बने बिंदू आदि में से किसी को देखकर ही कर सकते हैं। त्राटक साधना में रखें ये सावधानियां - इस साधना के समय आपके आसपास शांति हो। इस साधना का सबसे अच्छा समय है आधी रात या फिर ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 3 से 5 के बीच। - रात को यदि त्राटक करें तो सबसे अच्छा साधन है मोमबत्ती। मोमबत्ती को जलाकर उसे ऐसे रखें कि वह आपकी आंखों के सामने बराबरी पर हो। - मोमबत्ती को कम से कम चार फीट की दूरी पर रखें। - पहले तीन-चार दिन तीन से पांच मिनट तक एकटक मोमबत्ती की लौ को देखें। इस दौरान आपकी आंखें नहीं झपकना चाहिए। - धीरे-धीरे समय सीमा बढ़ाएं, आप पाएंगे थोड़े ही दिनों में आपकी आंखों की चमक बढ़ गई है और इसमें आकर्षण भी पैदा होने लगा है।
ऐसे करें बिना मंत्र वशीकरण...........

हर व्यक्ति के शरीर में दोनों आइब्रोज के मध्य का स्थान तीसरी आंख या आज्ञा चक्र कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इसीलिए दोनों आइब्रोज के मध्य ही तिलक किया जाता है। उसका कारण भी यही होता है ताकि यह नेत्र जागृत हो सके। जब कोई गुरु अपने शिष्य को दीक्षा देता है तो भी वह इसी तीसरे नेत्र पर अपना अंगूठा रखता है।

ऐसा माना जाता है कि इससे प्रकृति में उपस्थित दिव्य शक्तियां या अन्य किसी भी प्रकार की सकारात्मक ऊर्जाएं का किसी व्यक्ति में प्रवेश हो जाए इसीलिए सकारात्मक ऊर्जाओं के प्रवेश का द्वार खुल जाता है। एक सामान्य अभ्यास से कोई भी अपने तीसरे नेत्र को जागृत कर सकते हैं और किसी भी व्यक्ति से किसी काम को करने को मन ही मन कहेंगे तो आप देखेंगे की थोड़े दिनों बाद वह व्यक्ति आपका काम करने को बगैर कहे ही तैयार हो जाएगा।एक सामान्य अभ्यास आप भी यह कर सकते है।- इसके लिए सुबह जल्दी उठकर शोरगुल ना हो ऐसी जगह पर सीधे बैठकर ध्यान दोनों आइब्रोज के मध्य अपना ध्यान लगाएं ।- किसी दूर बैठे व्यक्ति का मन मे चितंन करें या दूर तक की छोटी छोटी अवाजों को सुनने की कोशिश करें।- यह अभ्यास रोज नियमित रूप से चालीस दिन तक करे। चालीस दिन पूर्ण होते ही आपको इस तीसरे नेत्र की शक्ति का धीरे-धीरे आपको आभास होने लगेगा।- इस दौरान आपको जिस व्यक्ति के संबंध में आप मन ही मन सोच रहे हैं उसके साथ घटने वाली किसी घटना का आभास आपको हो सकता है।इसके बाद आप देखेंगे की थोड़े दिन में वह व्यक्ति जिसके बारे में आप सोचेंगे वह बिना कहे ही आपका काम करने को तैयार हो जाएगा।

वशीकरण का सबसे आसान तरीका
तो वशीकरण के कई तरीके प्रचलित हैं। जिनमें से कुछ तो सार्वजनिक हैं तथा कुछ अत्यंत गोपनीय किस्म के होते हैं। यंत्र, तंत्र और मंत्र के क्षेत्र में ही वशीकरण के कई अचूक और १०० प्रतिशत प्रमाणिक साधन या उपाय उपलब्ध हैं। किन्तु हर प्रयोग में किसी न किसी विशेष विधि एवं नियम-कायदों का पालन करना पड़ता ही है। इसीलिये, आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान ऐसे तरीके या उपाय चाहता है जो कम से कम समय में सम्पन्न हो सकें। आजकल हर इंसान शार्टकट के जुगाड़ में लगा रहता है।

पारम्परिक और लम्बे रास्ते पर ना तो वह चलना चाहता है और ना ही उसके पास इतना समय होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही यहां वशीकरण यानि किसी को अपने प्रभाव में लाने या अनुकूल बनाने का सरल अनुभवी एवं अचूक तरीका या उपाय दिया जा रहा है। यह अचूक और शर्तिया कारगर उपाय इस प्रकार है-- जिस भी व्यक्ति को आप अपने वश में करना चाहते हैं, उसका एक चित्र जो कि लगभग पुस्तक के आकार का तथा स्पष्ट छवि वाला हो, उपलब्ध करें। उस चित्र को इतनी ऊंचाई पर रखें कि जब आप पद्मासन में बैठे, तो उस चित्र की छवि आपकी आंखों के सामने ही रहे। ५ मिनिट तक प्राणायाम करने के पश्चात उस चित्र पर ध्यान एकाग्र करें। पूर्ण गहरे ध्यान में पंहुचकर उस चित्र वाले व्यक्तित्व से बार-बार अपने मन की बात कहें। कुछ समय के बाद अपने मन में यह गहरा विश्वास जगाएं कि आपके इस प्रयास का प्रभाव होने लगा है। यह प्रयोग सूर्योदय से पूर्व होना होता है।

यह पूरा प्रयोग असंख्यों बार अजमाने पर हर बार सफल रहता है। किन्तु इसकी सफलता पूरी तरह से व्यक्ति की एकाग्रता और अटूट विश्वास पर निर्भर रहती है। मात्र तीन से सात दिनों में इस प्रयोग के स्पष्ट प्रभाव दिखने लगते हैं।
आसमान में उड़ने वाला सांप 

रविवार, 13 दिसंबर 2015

जन्म से मृत्यु तक का सफर गरुड़ पुराण के अनुसार janm se lekar mrityu tak ka safar garud puran ke anushar

जन्म से मृत्यु तक का सफर गरुड़ पुराण के अनुसार

 

किसी भी महिला के लिए वह क्षण बहुत गर्व का होता है, जब वह मां बनती है। 
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने अपने परम भक्त और वाहन गरुड़ को जीवन-मृत्यु, स्वर्ग, नरक, पाप-पुण्य, मोक्ष पाने के उपाय आदि के बारे में विस्तार से बताया है। गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि शिशु को माता के गर्भ में क्या-क्या कष्ट भोगने पड़ते हैं और वह किस प्रकार भगवान का स्मरण करता है। गर्भस्थ शिशु के मन में क्या-क्या विचार आते हैं, ये भी गरुड़ पुराण में बताया गया है। आज मै गरुड़ पुराण में लिखी यही बातें आपको बता रहा हु , जो इस प्रकार हैं-
3. एक महीने में मस्तक, दूसरे महीने में हाथ आदि अंगों की रचना होती है। तीसरे महीने में नाखून, रोम, हड्डी, लिंग, नाक, कान, मुंह आदि अंग बन जाते हैं। चौथे महीने में त्वचा, मांस, रक्त, मेद, मज्जा का निर्माण होता है। पांचवें महीने में शिशु को भूख-प्यास लगने लगती है। छठे महीने में शिशु गर्भ की झिल्ली से ढंककर माता के गर्भ में घूमने लगता है।
11. गरुड़ पुराण के अनुसार, जैसी बुद्धि गर्भ में, रोग आदि में, श्मशान में, पुराण आदि सुनने में रहती है, वैसी बुद्धि सदा रहे तब इस संसार के बंधन से कौन नहीं छूट सकता। जिस समय शिशु कर्म योग द्वारा गर्भ से बाहर आता है, उस समय भगवान विष्णु की माया से वह मोहित हो जाता है। माया से मोहित तथा विनाश वह कुछ भी नहीं बोल सकता और बाल्यावस्था के दु:ख भी भोगता है।
माता के गर्भ में नौ महीनों तक शिशु का पालन-पोषण होता है।
मेडिकल साइंस के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान माता जो भी खाती-पीती है, उसी का अंश गर्भस्थ शिशु को भी मिलता है। 
यही बात हिंदू धर्म ग्रंथों में भी बताई गई है। गरुड़ पुराण में शिशु के माता के गर्भ में आने से लेकर जन्म लेने तक का स्पष्ट विवरण दिया गया है।

1. गरुड़ पुराण के अनुसार, स्त्रियों में ऋतु काल आने से संतान की उत्पत्ति होती है, इस कारण तीन दिन स्त्रियां अपवित्र रहती हैं। ऋतु काल में पहले दिन स्त्री चांडाली, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी के समान तथा तीसरे दिन धोबिन के समय रहती हैं। इन तीन दिनों में नरक से आए हुए जीव उत्पन्न होते हैं।

2. ईश्वर से प्रेरित हुए कर्मों से शरीर धारण करने के लिए पुरुष के वीर्य बिंदु के माध्यम से स्त्री के गर्भ में जीव प्रवेश करता है। एक रात्रि का जीव कोद (सूक्ष्म कण), पांच रात्रि का जीव बुदबुद (बुलबुले) के समान तथा दस दिन का जीव बदरीफल (बेर) के समान होता है। इसके बाद वह एक मांस के पिण्ड का आकार लेता हुआ अंडे के समान हो जाता है।



4. माता द्वारा खाए गए अन्न आदि से बढ़ता हुआ वह शिशु विष्ठा (गंदगी), मूत्र आदि का स्थान तथा जहां अनेक जीवों की उत्पत्ति होती है, ऐसे स्थान पर सोता है। वहां कृमि जीव के काटने से उसके सभी अंग कष्ट पाते हैं, जिसके कारण वह बार-बार बेहोश भी होता है। माता जो भी कड़वा, तीखा, रूखा, कसैला आदि भोजन करती है, उसके स्पर्श होने से शिशु के कोमल अंगों को बहुत कष्ट होता है।

5. इसके बाद शिशु का मस्तक नीचे की ओर तथा पैर ऊपर की ओर हो जाते हैं, वह इधर-उधर हिल नहीं सकता। जिस प्रकार से पिंजरे में रूका हुआ पक्षी रहता है, उसी प्रकार शिशु माता के गर्भ में दु:ख से रहता है। यहां शिशु सात धातुओं से बंधा हुआ भयभीत होकर हाथ जोड़ ईश्वर की (जिसने उसे गर्भ में स्थापित किया है) स्तुति करने लगता है।

6. सातवें महीने में उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है और वह सोचता है- मैं इस गर्भ से बाहर जाऊंगा तो ईश्वर को भूल जाऊंगा। ऐसा सोचकर वह दु:खी होता है और इधर-उधर घूमने लगता है। सातवें महीने में शिशु अत्यंत दु:ख से वैराग्ययुक्त हो ईश्वर की स्तुति इस प्रकार करता है- लक्ष्मी के पति, जगदाधार, संसार को पालने वाले और जो तेरी शरण आए उनका पालन करने वाले भगवान विष्णु का मैं शरणागत होता हूं।

7. गर्भस्थ शिशु भगवान विष्णु का स्मरण करता हुआ सोचता है कि हे भगवन। तुम्हारी माया से मैं मोहित देह आदि में और यह मेरे ऐसा अभिमान कर जन्म मरण को प्राप्त होता हूं। मैंने परिवार के लिए शुभ काम किए, वे लोग तो खा-पीकर चले गए मैं अकेला दु:ख भोग रहा हूं। हे भगवन। इस योनि से अलग हो तुम्हारे चरणों का स्मरण कर फिर ऐसे उपाय करुंगा, जिससे मैं मुक्ति को प्राप्त कर सकूं।

8. फिर गर्भस्थ शिशु सोचता है मैं दु:खी विष्ठा व मूत्र के कुएं में हूं और भूख से व्याकुल इस गर्भ से अलग होने की इच्छा करता हूं, हे भगवन। मुझे कब बाहर निकालोगे? सभी पर दया करने वाले ईश्वर ने मुझे ये ज्ञान दिया है, उस ईश्वर की मैं शरण में जाता हूं, इसलिए मेरा पुन: जन्म-मरण होना उचित नहीं है।

9. गरुड़ पुराण के अनुसार, फिर माता के गर्भ में पल रहा शिशु भगवान से कहता है कि मैं इस गर्भ से अलग होने की इच्छा नहीं करता क्योंकि बाहर जाने से पापकर्म करने पड़ते हैं, जिससे नरक आदि प्राप्त होते हैं। इस कारण बड़े दु:ख से व्याप्त हूं फिर भी दु:ख रहित हो आपके चरण का आश्रय लेकर मैं आत्मा का संसार से उद्धार करुंगा।

10. इस प्रकार गर्भ में बुद्धि विचार कर शिशु नौ महीने तक स्तुति करता हुआ नीचे मुख से प्रसूति के समय वायु से तत्काल बाहर निकलता है। प्रसूति की हवा से उसी समय शिशु श्वास लेने लगता है तथा अब उसे किसी बात का ज्ञान भी नहीं रहता। गर्भ से अलग होकर वह ज्ञान रहित हो जाता है, इसी कारण जन्म के समय वह रोता है।