मंगलवार, 16 मई 2017

भगवान कामदेव के पिता कौन है Bhagwan kamdev ke pita kaun hai

भगवान  कामदेव के पिता कौन है  Bhagwan kamdev ke pita kaun hai

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कामदेव सौंदर्य और कल्याण के देवता माने जाते हैं। कामदेव की पत्नी का नाम रति है। प्रेम और सौंदर्य की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना खासतौर से की जाती है। कामदेव वह देवता हैं, जिन्होंने भगवान शिव को भी समाधि से विचलित कर दिया था। कामदेव का एक नाम अनंग यानी बिना अंग वाला भी है।जब धर्म पर संकट आयी थी तब किसी भी देवता का दाल नहीं गला , तब मात्र अंतिम सहारा थे भगवान शिव जो तपश्या  में लीन रहते है, तो भगवान शिव को जगाने के लिए सभी देवता अपना अपना तरीका आजमा के देख लिए फिर भी भगवान शिव जी नहीं जागे तब देवताओ ने मिलकर ये योजना बनाई की कामदेव ही है जो भगवान को जगा सकते है , तो देवता गण कामदेव को भेज दिए भगवान शिव को जगाने कामदेव अपने बाण शिव जी के ऊपर छोड़ते गए लेकिन भगवान शिव को कोई फर्क नहीं पड़ा अंततः भगवान शिव निद्रा से जागे तो बहोत क्रोध  में थे, क्रोध में होने के वजह से भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुला और कामदेव को भस्म कर दिया लेकिन कामदेव की मृत्यु नहीं हुई पर उनका शरीर जल गया देवताओ के कहने पर भगवान शिव को अपने आप पर पछतावा हुआ और उन्होंने उनको एक वरदान दिया की की एक निश्चित समय आने पर आपको नयी शरीर प्राप्त हो जाएगी  ,कामदेव को कोई देख नहीं सकता  इसी कारण कामदेव दिखते नहीं हैं, लेकिन महसूस सभी को होते हैं। 

भगवान शिव कामदेव को भस्म करते हुए 



सर्वप्रथम उत्पत्ति
वेदों के अनुसार कामदेव की उत्पत्ति सर्वप्रथम हुई, यह विश्वविजयी भी हैं-
कामो जज्ञे प्रथमो नैनं देवा आपु: पितरो न मत्र्या:।
ततस्त्वमसि ज्यायान् विश्वहा महांस्तस्मैते काम।
अथर्ववेद- 9/2/19

अर्थ- कामदेव सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ। जिसे देव, पितर और मनुष्य न पा सके। इसलिए काम सबसे बड़ा विश्वविजयी है।
विभिन्न धर्मग्रंथों में इसका उल्लेख है-
सौरभ पल्लव मदनु बिलोका। भयउ कोपु कंपेउ त्रैलोका॥
तब सिवं तीसर नयन उघारा। चितवत कामु भयउ जरि छारा॥
श्रीरामचरितमानस 1/87/3
अर्थ- कामदेव द्वारा छोड़े गए पुष्पबाण से समाधि भंग होने के बाद भगवान शिव ने आम के पत्तों में छिपे हुए कामदेव को देखा तो बड़ा क्रोध हुआ, जिससे तीनों लोक कांप उठे। तब शिवजी ने तीसरा नेत्र खोला, उनके देखते ही कामदेव जलकर भस्म हो गए।
ऐसा है कामदेव का स्वरूप
कामदेव सौंदर्य की मूर्ति हैं। उनका शरीर सुंदर है, वे गन्ने से बना धनुष धारण करते हैं। पांच पुष्पबाण ही उनके हथियार हैं। भगवान शिव पर भी कामदेव ने पुष्पबाण चलाया था। इन बाणों के नाम हैं- नीलकमल, मल्लिका, आम्रमौर, चम्पक और शिरीष कुसम। ये तोते के रथ पर मकर अर्थात मछली के चिह्न से अंकित लाल ध्वजा लगाकर विचरण करते हैं।
ब्रह्मा के हृदय से जन्म
श्रीमद्भागवत के अनुसार, सृष्टि में कामदेव का जन्म सबसे पहले धर्म की पत्नी श्रद्धा से हुआ था। देवजगत में ये ब्रह्मा के संकल्प पुत्र माने जाते हैं। ऐसा कहते हैं कि ये ब्रह्मा के हृदय से उत्पन्न हुए थे-
हृदि कामो भ्रुव: क्रोधो लोभश्चाधरदच्छदात।
श्रीमद्भागवत-3/12/26
अर्थ- ब्रह्मा के हृदय से काम, भौंहों से क्रोध और नीचे के होंठ से लोभ उत्पन्न हुआ।
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र  थे कामदेव
द्वापर काल में कामदेव ने ही भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लिया था। भगवान शंकर के शाप से जब कामदेव भस्म हो गया तो उसकी पत्नी रति अति व्याकुल होकर पति वियोग में उन्मत्त सी हो गई। उसने अपने पति की पुनः प्रापत्ति के लिये देवी पार्वती और भगवान शंकर को तपस्या करके प्रसन्न किया। पार्वती जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तेरा पति यदुकुल में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा और तुझे वह शम्बासुर के यहाँ मिलेगा। इसीलिये रति शम्बासुर के घर मायावती के नाम से दासी का कार्य करने लगी।
ये हैं कामदेव के अन्य नाम
कामदेव के अनेक नाम हैं जैसे- कंदर्प, काम, मदन, प्रद्युम्न, रतिपति, मदन, मन्मथ, मीनकेतन, कमरध्वज, मधुदीप, दर्पका, अनंग
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