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“गधा और शेर – आत्मविश्वास की जीत” The donkey and the lion, victory of self-confidence

  “गधा और शेर – आत्मविश्वास की जीत” बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल के किनारे एक गाँव था। उस गाँव में एक गधा रहता था जिसका नाम था भोला । भोला साधारण गधा नहीं था। उसका शरीर मजबूत था, लेकिन वह खुद को लेकर हमेशा संकोच में रहता। उसे लगता कि वह किसी काम का नहीं है। लोग उसे आलसी कहते थे, कुछ बच्चे उसे चिढ़ाते भी थे — “अरे गधे, तुझे क्या आता है? तू तो सिर्फ बोझ उठाने के लिए ही बना है।” भोला यह सब सुनकर उदास हो जाता। वह सोचता — “शायद मैं सच में निकम्मा हूँ। मेरे जैसे जानवर की तो कोई कद्र नहीं करता।” उसका आत्मविश्वास दिन-ब-दिन गिरता जा रहा था। उसी जंगल में एक शेर भी रहता था। उसका नाम था वीरेंद्र । वह ताकतवर, बहादुर और आत्मनिर्भर था। पूरे जंगल में उसकी गरिमा थी। सभी जानवर उसका सम्मान करते थे। परंतु वीरेंद्र के मन में भी एक पीड़ा थी। कई बार उसे लगता कि उसकी ताकत ही उसकी पहचान है। वह सोचता — “अगर ताकत न होती तो कौन मुझे पूछता? क्या मेरा अस्तित्व सिर्फ डर दिखाने तक सीमित है?” एक दिन, भाग्य ने ऐसी दिशा में मोड़ लिया जहाँ इन दोनों की मुलाकात हुई। पहली मुलाकात – संकोच और अहंकार गर्मी ...

गायत्री मंत्र के सभी शब्दों का अर्थ (मतलब) क्या है ?(Gayatri Mantra)

  गायत्री मंत्र के सभी शब्दों  का अर्थ (मतलब) क्या है ? सभी ग्रंथों में लिखा है कि मंत्रों का मंत्र महामंत्र गायत्री मंत्र है यह प्रथम इसलिए है क्योंकि  विश्व की प्रथम पुस्तक ऋंगवेद  की शुरुआत ही गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) से होती है कहते हैं कि ब्रह्मा ने चार वेदों की रचना के पूर्व 24 अक्षरों के गायत्री मंत्र की रचना की थी, गायत्री मंत्र के हर शब्द का खास अर्थ है,  आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के सभी अक्षरों का अर्थ (मतलब)  ॐ  भूर्भुव स्व तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात्  प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आवाहन हो जाता है  गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों के 24 देवता है उनकी अर्थात  चौबीस शक्तियां है , 24 शक्ति बीज है गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का  लाभ और सिद्धियां मिलती है  ॐ शब्द 3 शब्दों से मिलकर बना है अ ,उ  और म इन तीनो शब्दों को एक साथ मिला कर बोलने पर जो ध्वनि निकलती है वो है ॐ |  गायत्री मंत्र का अर्थ उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष...

एक दूजे के लिये (Ek Duje ke Liye)

सहर से दूर एक घने जंगल में एक आम का और एक नीम का लम्बा घाना पेड़ था | नीम का पेड़ अपने पडोशी आम के पेड़ से बात तक नहीं करता था | उनको अपने बड़े होने पर घमंड था | एक बार एक रानी मधुमक्खी नीम के पेड़ के  पास पहुची और कहा " नीम भाई " मै  आपके यहाँ पर अपने सहाद का छत्ता बना लूँ ? नीम के पेड़ ने साफ - साफ मन कर दिया आम के कहने पर भी वह अड़ा  रहा  | आम के पेड़ ने उसे अपने यहाँ छत्ता बनाने की अनुमति दे दी | रानी मक्खी ने आम के पेड़ पर छत्ता बना लिया और सुखपूर्वक रहने लगी | तभी कुछ दिनों बाद कुछ व्यक्ति वहा आये और कहने लगे की इस आम के पेड़ को कटते है | तभी एक व्यक्ति की नज़र मधुमक्खी के छत्ते पर पड़ी तो उसने कहा - यदि हम इस पेड़ को कटते है तो ये मधुमक्खी हमें नहीं छोड़ेंगे , अतः हम इस नीम के पेड़ को कटते है इससे हमें कोई खतरा नहीं होगा , और लकड़ियाँ भी हमें अधिक मात्र में मिल जाएगी | यह सब सुनकर नीम का पेड़ डर गया , लेकिन अब वह कर भी क्या सकता था ? दुसरे दिन सभी व्यक्ति आये और नीम के  पेड़ को काटने लगे तब नीम चिल्लाना शुरू किया " मुझे बचाओ मुझे बचाओ नहीं तो ये लोग मुझे कट डालेंग...