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एक दूजे के लिये (Ek Duje ke Liye)

सहर से दूर एक घने जंगल में एक आम का और एक नीम का लम्बा घाना पेड़ था |
नीम का पेड़ अपने पडोशी आम के पेड़ से बात तक नहीं करता था | उनको अपने बड़े होने पर घमंड था | एक बार एक रानी मधुमक्खी नीम के पेड़ के  पास पहुची और कहा " नीम भाई " मै  आपके यहाँ पर अपने सहाद का छत्ता बना लूँ ? नीम के पेड़ ने साफ - साफ मन कर दिया आम के कहने पर भी वह अड़ा  रहा  | आम के पेड़ ने उसे अपने यहाँ छत्ता बनाने की अनुमति दे दी | रानी मक्खी ने आम के पेड़ पर छत्ता बना लिया और सुखपूर्वक रहने लगी | तभी कुछ दिनों बाद कुछ व्यक्ति वहा आये और कहने लगे की इस आम के पेड़ को कटते है | तभी एक व्यक्ति की नज़र मधुमक्खी के छत्ते पर पड़ी तो उसने कहा - यदि हम इस पेड़ को कटते है तो ये मधुमक्खी हमें नहीं छोड़ेंगे , अतः हम इस नीम के पेड़ को कटते है इससे हमें कोई खतरा नहीं होगा , और लकड़ियाँ भी हमें अधिक मात्र में मिल जाएगी | यह सब सुनकर नीम का पेड़ डर गया , लेकिन अब वह कर भी क्या सकता था ?

दुसरे दिन सभी व्यक्ति आये और नीम के  पेड़ को काटने लगे तब नीम चिल्लाना शुरू किया " मुझे बचाओ मुझे बचाओ नहीं तो ये लोग मुझे कट डालेंगे " तब मधुमखियो ने उन लोगो पर हमला किया और उन लोगो को वहा से भगा दिया | नीम के पेड़ ने मधुमक्खियो को धन्यवाद  दिया तो इस पर मधुमखियो ने कहा की "धन्यवाद हमें नहीं आम भाई को कहो यदि वह हमको नहीं कहते तो हम आपको नहीं बचाते "


^^^^^^ इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ^^^^^^
दोस्तों आपके  अमूल्य सुझाव व सन्देश की प्रतीक्षा रहेगी 

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