मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

पढ़ा हुआ याद रखने का दूसरा उपाय (PADHA HUA YAAD RAKHNE KA DUSRA UPAY)

दोनों कानों के नीचे के भाग को अंगूठे और अंगुलियों से दबाकर नीचे की ओर खीचें। पूरे कान को ऊपर से नीचे करते हुए मरोड़ें। सुबह 4-5 मिनट और दिन में जब भी समय मिले, कान के नीचे के भाग को खींचे-

सिर व गर्दन के पीछे बीच में मेडुला नाड़ी होती है। इस पर अंगुली से 3-4 मिनट मालिश करें। इससे एकाग्रता बढ़ती है और पढ़ा हुआ याद रहता है-




ज्ञान मुद्रा का अभ्यास करे - प्रात: उठकर पद्यासन या सुखापन में बैठकर हाथों की तर्जनी अंगुली के अग्र भाग को अंगूठे से मिलाकर रखने से ज्ञान मुद्रा बनती है। शेष अंगुलियां सहज रूप से सीधी रखें, आंखें बंद, कमर व रीढ़ सीधी, यह अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्रा है। इसका हितकारी प्रभाव समस्त वायुमंडल और मस्तिष्क पर पड़ता है। ज्ञानमुद्रा पूरे स्नायुमंडल को सशक्त बनाती है। विशेषकर मानसिक तनाव से होने वाले दुष्प्रभावों को दूर कर मस्तिष्क के ज्ञान तंतुओं को सबल बनाती है। ज्ञानमुद्रा के निरंतर अभ्यास से मस्तिष्क की सभी विकृतियां और रोग दूर होते हैं। जैसे पागलपन, उन्माद, विक्षिप्तता, चिड़चिड़ापन, अस्थिरता, अनिश्चितता क्रोध, आलस्य घबराहट, अनमनापन, व्याकुलता, भय आदि। मन शांत हो जाता है। और चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है। ज्ञानमुद्रा विद्यार्थियों के लिए वरदान है। इसके अभ्यास से स्मरण शक्ति और बुध्दि तेज होती है।

अकारण अंगुलियों को चटकाना, पंजा लड़ाना और अंगुलियों को अनुचित रूप से चलाना आदि आदतें मस्तिष्क और स्नायु-मंडल पर बुरा प्रभाव डालती हैं। इससे प्राणशक्ति का ह्रास होता है और स्मरण शक्ति कमजोर होती हैं।इनसे बचे -

आज्ञाचक्र ललाट पर दोनों भौंहों के मध्य स्थित होता है। इसका संबंध ब्रह्म शरीर से होता है। जिस व्यक्ति का आज्ञाचक्र जाग जाता है, वही विशुध्द ब्रह्मचारी हो सकता है। और उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं रहता। आज्ञाचक्र पर ध्यान केन्द्रित करने से आज्ञाचक्र जाग्रत होता है। सफेद रंग की ऊर्जा यहां से निकलती है। अत: सफेद रंग के ध्यान से आज्ञाचक्र के जागरण में सहायता मिलती है।

देशी गाय के शुध्द घी में एक बादाम कुचलकर डाल दें और उसे गरम करके ठंडा कर लें। तत्पश्चात् छानकर रखें। रात को सोते समय यह घी दो-दो बूंद दोनों नासिका के छिद्रों में थोड़ गुनगुना करके डालें। घी ड्रोपर में रख लें, डालने से पहले ड्रोपर की शीशी गरम पानी में रखें और फिर गरज होने पर नाक में डालें। यही घी नाभि पर डालकर 4-5 बार घड़ी की दिशा में और 4-5 बार घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाएं, फिर उस पर गीले कपड़े की पट्टी और फिर सूखे कपड़े की पट्टी रखें। ऐसा करीब 10-15 मिनट करें।  सोते वक्त दोनों पैरों की पदतलियों में अपने हाथ से घी से मालिश करें। इससे नींद अच्छी आती है, मस्तिष्क में शांति, प्रसन्नता और सक्रियता आती है। मनोबल बढ़ता है।

चार-पांच बादाम की गिरी पीसकर गाय के दूध और मिश्री में मिलाकर पीने से मानसिक शक्ति बढ़ती है। आयुर्वेद के अनुसार ब्राह्मी, शंखपुष्पी, वच, असगंध, जटामांसी, तुलसी समान मात्रा में लेकर चूर्ण का प्रयोग नित्य प्रतिदिन दूध के साथ करने पर मानसिक शक्ति, स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है।

उत्तर दिशा में मुंह करके पिरामिड की आकृति की टोपी पहनकर पढ़ाई करने से पढ़ा हुआ बहुत शीघ्र याद होता है। टोपी, कागज, गत्ता या मोटे कपड़े की बनाई जा सकती है-

देशी गाय का शुध्द घी, दूध, दही, गोमूत्र, गोबर का रस समान मात्रा में लेकर गरम करें। घी शेष रहने पर उतार कर ठंडा करके छानकर रख लें। यह घी ‘पंचगव्य घृत’ कहलाता है।इसे रात को सोते समय और प्रात: देशी गाय के दूध में 2-2 चम्मच पिघला हुआ पंचगव्य घृत, मिश्री, केशर, इलायची, हल्दी, जायफल, मिलाकर पिएं। इससे बल, बुध्दि, साहस, पराक्रम, उमंग और उत्साह बढ़ता है। हर काम को पूरी शक्ति से करने का मन होता है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

रात्रि को सोते समय अपने दिन भर के किए हुए कार्यों पर चिंतन-मनन करना, उनकी समीक्षा करना, गलतियों के प्रति खेद व्यक्त करना और उन्हें पुन: न दोहराने का संकल्प लेना चाहिए। प्रात: सो कर जागते समय ईश्वर को नया जन्म देने हेतु धन्यवाद देना चाहिए और पूरा दिन अच्छे कार्यों में व्यतीत करने का संकल्प लेकर पूरे दिन की योजना बनाकर बिस्तर छोड़ना चाहिए।


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